बेतिया। परिवार नियोजन की प्रक्रिया बहुत ही सरल और सुलभ किया जा चुका है, इसके बावजूद इसका लाभ अपेक्षित लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है। शहरी क्षेत्र के स्लम बस्तियों में स्थिति ज्यादा चिंताजनक है। उक्त बातें गैर संचारी रोग के क्षेत्रीय उपनिदेशक डॉ संजय सिंह ने बुधवार को पीएसआई, इंडिया द्वारा आयोजित कार्यशाला में कही। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र के स्लम बस्तियों में रहने वाले गरीब और वंचित लोगों तक परिवार नियोजन के साधन पहुंचाना जरूरी है। आशा कार्यकर्ता और स्वास्थ्य कर्मियों को नियमित रूप से मलिन बस्तियों में बैठक करनी चाहिए और वहाँ लोगों को परिवार नियोजन पर जागरुकता फैलानी चाहिंए।
परिवार नियोजन के नोडल सह जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ टीएन प्रसाद ने कहा कि आने वाले दिनों में पीएसआई इंडिया शहरी क्षेत्र में परिवार नियोजन कार्यक्रम को मजबूती देने के लिए तकनीकी सहयोग प्रदान करेगी। कार्यशाला का आयोजन बेतिया जिला अंतर्गत शहरी क्षेत्र में शहरी स्वास्थ्य और शहरी परिवार कल्याण के सुदृढीकरण के लिए पीएसआई, इंडिया के कार्यक्रम “द चैलेंज इनिसिएटिव” के तहत किया गया।
साधन पहुंचाने विषय पर कार्यशाला
राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन, जिला स्वास्थ्य समिति एवं पीएसआई इंडिया के तकनीकी सहयोग से शहरी स्वास्थ्यकर्मियों के लिए उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य सभी शहरी स्वास्थ्य सहभागियों को एक मंच पर लाकर शहरी आबादी के निचले पायदान तक स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए व्यापक विचार विर्मश कर एक समावेशी शहरी स्वास्थ्य योजना की रूपरेखा तैयार करना था।
साधनों की उपलब्धता हुई सुलभ
इस अवसर पर डीसीएम राजेश कुमार ने कहा कि परिवार नियोजन सेवाएं सभी स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध हैं, स्वास्थ्य विभाग द्वारा परिवार नियोजन के लिए लोगों को स्थायी व अस्थायी विकल्प की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है, जो जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध हैं। इसकी जानकारी देने के लिए आशा, एएनएम आदि नियमित उपस्थित रहती हैं। परिवार नियोजन के स्थायी साधनों में नसबंदी और बंध्याकरण शामिल हैं। किसी भी अस्पताल से लाभ उठा सकते हैं। महिला बंध्याकरण की तुलना में पुरुष नसबंदी ज्यादा आसान और सुलभ है। जिसका लोग आसानी से लाभ उठा सकते हैं।
लाभार्थी 100 रुपये, उत्प्रेरक को 100 रुपये देने का प्रावधान
अस्थायी साधन में अंतरा इंजेक्शन, कॉपर-टी, छाया, माला-एन, इजी पिल्स आदि का उपयोग कर सकते हैं। सरकार द्वारा अंतरा इंजेक्शन लगाने पर लाभार्थी को 100 रुपये और उत्प्रेरक को भी 100 रुपये देने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि विगत कुछ वर्षों में बिहार की जनसंख्या दर में कमी आई है, मगर अभी भी राष्ट्रीय औसत से अधिक है। इस अवसर पर पीएसआई इंडिया के विवेक मालवीय ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मुर्तजा अंसारी, डीपीएम सलीम जोवद, सीडीओ डॉ टीएन प्रसाद, आईसीडीएस के डीसी ऋषुराज, पीएसआई इंडिया से विवेक मालवीय, डॉ प्रेमा, शैलेश तिवारी, केयर के विजय पांडेय समेत प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी एवं अन्य लोग उपस्थित थे।