मोतिहारी। जिले में डेंगू के लगातार बढ़ रहे मामलों पर सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि डेंगू रोग के बारे में लोगों को जागरूक करने से ही इसके मामलों में कमी आयेगी। उन्होंने बताया कि एडिस मच्छर के काटने से डेंगू होता है। यह मच्छर दिन में काटता है और स्थिर एवं साफ पानी में पनपता है। इसके काटने के कारण तेज बुखार, बदन, सिर एवं जोड़ों में दर्द और आंखों के पीछे दर्द हो, तो सतर्क हो जाएं। त्वचा पर लाल धब्बे या चकते का निशान, नाक-मसूढ़ों से या उल्टी के साथ रक्तस्राव होना और काला पखाना होना डेंगू के लक्षण हैं। इन लक्षणों के साथ यदि तेज बुखार हो तो तत्काल सदर अस्पताल जाएं और अपना इलाज करवाएं।
डेंगू वार्ड बनाने का आदेश
सीएस डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल सहित जिले के अन्य अस्पतालों में डेंगू वार्ड बनाने का आदेश दे दिया गया है, जिसकी तैयारियां की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को पहले डेंगू हो चुका है तो उसे ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। डेंगू बुखार की आशंका होने पर सरकारी अस्पताल या फिर डॉक्टर से संपर्क करें, इसकी तुरंत जाँच कराए।
जानकारी से मामलों में आयेगी कमी
जिले के सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि डेंगू रोग के बारे में जानकारी से इसके मामलों में कमी आएगी। लोग ड़ेंगू मच्छड़ के काटने से बचेंगें, वही लक्षण दिखाई होने पर इलाज कराकर सुरक्षित रह सकेंगे।
इलाज की पूरी व्यवस्था है उपलब्ध
सीएस डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि ड़ेंगू के इलाज की पूरी व्यवस्था सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है। ड़ेंगू होने पर मरीज को थोड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, परन्तु इसका मुफ्त इलाज सरकारी स्तर पर भी उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा बेहतर है कि हम सावधानियों का पालन कर डेंगू के खतरे से अपने आपको सुरक्षित करें।
डेंगू से सुरक्षित रह सकते हैं
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरत चन्द्र शर्मा ने बताया कि डेंगू से बचाव के लिए दिन में भी सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। इसके साथ-साथ मच्छर भगाने वाली क्रीम या दवा का प्रयोग दिन में भी करें। पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। घर के सभी कमरों को साफ-सुथरा रखें। टूटे-फूटे बर्तनों, कूलर, एसी, फ्रीज में पानी जमा नहीं होने दें। पानी टंकी और घर के आसपास अन्य जगहों पर भी पानी नहीं जमने दें। घर के आसपास साफ-सफाई का ध्यान रखें और कीटनाशक दवा का इस्तेमाल करें। गमला, फूलदान का पानी हर दूसरे दिन बदल दें।