पोषण माह : एचडब्ल्यूसी पर पोषण की थाली सजा लाभार्थियों को किया गया जागरूक

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बक्सर, 12 सितंबर | जिले के सभी प्रखंडों में पोषण माह को लेकर गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। ताकि, लोगों को पोषण के प्रति जागरूक किया जा सके। पोषण अभियान के तहत आईसीडीएस और स्वास्थ्य विभाग दोनों लोगों को जागरूक करने में जुटा हुआ है। इस क्रम में नावानगर प्रखंड स्थित कड़सर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) में पोषण को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसका संचालन एचडब्ल्यूसी की सीएचओ प्रियंका कुमारी ने किया।

कुपोषण मुक्त समाज निर्माण

जिसमें पोषण की थाली सजाकर लाभार्थी व गर्भवती महिलाओं के साथ किशोरियों को भी पोषण की जानकारी दी गई। इस दौरान कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर उचित पोषण, सुरक्षित और सामान्य प्रसव को लेकर संस्थागत प्रसव को प्राथमिकता देने समेत अन्य जरूरी बातों पर विशेष बल देते हुए सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक किया गया। साथ ही, गर्भवती महिलाओं और किशोरियों को एनीमिया के लक्षण, बचाव व इलाज के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई।

पोषण के महत्व और उद्देश्य

कार्यक्रम में एएनएम सीता देवी, आशा फैसिलिटेटर दुर्गा देवी, आशा कार्यकर्ताओं के अलावा लाभार्थी मौजूद रहीं।अपने खाने में जितना साबूत अनाज शामिल करें :सीएचओ प्रियंका कुमारी ने लाभुकों को बताया, पोषण के महत्व और उद्देश्य को प्रत्येक व्यक्ति पहुंचाने के लिए जिले में पोषण माह के तहत विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। जिसके माध्यम से जहां लोगों को उचित पोषण की जानकारी दी जा रही वहीं, उचित पोषण के महत्व और उद्देश्य को भी बताया जा रहा है।

ग्रामीण परिवेश से दूरी और पाश्चात्य संस्कृति

ताकि, सामाजिक स्तर पर लोग सरकार की इस पहल को समझ सकें और इसे बढ़ावा देने के लिए आगे आ सकें। उन्होंने कहा कि ग्रामीण परिवेश से दूरी और पाश्चात्य संस्कृति से नजदीकी ने हमारी थाली से पोषक तत्वों को छीन लिया है। इसलिए हम अपने खाने में साबूत अनाज शामिल करें। ताकि, उतना ही हम पोषक तत्वों से भरपूर रह सकेंगे। चना, अलसी, जौ, बाजरा, मड़ुआ, सोयाबीन, लाल साग, गेनाढी का साग, नींबू, पपीता, दाल आदि का सेवन हमेशा करें। साबूत अनाज हरेक नजरिए से हमारे शरीर के लिए फायदेमंद है।

कुपोषण की राह में एनीमिया सबसे बड़ा बाधक

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सीएचओ प्रियंका कुमारी ने लाभुकों को कहा, कुपोषण की राह में एनीमिया सबसे बड़ा बाधक है। एनीमिया सिर्फ बच्चों को ही नहीं, बल्कि गर्भवती महिलाएं, धातृ महिलाओं और किशोरियों को भी कुपोषित करता है। इसलिए गर्भवती माता, किशोरियां व बच्चों में एनीमिया की रोकथाम जरूरी है। गर्भवती महिला को 180 दिन तक आयरन की एक लाल गोली जरूर खानी चाहिए। 10 वर्ष से 19 साल की किशोरियों को भी प्रति सप्ताह आयरन की एक नीली गोली का सेवन करना चाहिए।

पोषण का समुचित ख्याल रखना चाहिए

छह माह से पांच साल तक के बच्चों को सप्ताह में दो बार एक-एक मिलीलीटर आयरन सिरप देनी चाहिए। वहीं, जिन किशोरियों की उम्र 15 से 19 वर्ष हैं, वो सबसे ज्यादा एनीमिक पायी जाती हैं। ऐसे में हम उस पीढ़ी को कुपोषित देखते हैं जो आगे चलकर गर्भ धारण करने वाली हैं। इसके लिए उन्हें भी पोषण का समुचित ख्याल रखना चाहिए। अपने खाने में दाल, साग और हरी सब्जी की अधिकता रखनी चाहिए।

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