सीतामढ़ी। जिसने वेदना सही हो, जीने के लिए संघर्ष किया हो, उसके पास अनुभव का भंडार होता है। अपने इन्हीं अनुभवों को टीबी सर्वाइवर से टीबी चैंपियन बने लोग टीबी मरीजों के बीच बांटते हैं। इसकी बदौलत अन्य लोग भी टीबी जैसी गंभीर बीमारी से उबरने में सक्षम हो रहे हैं। फिलहाल जिले में कुल 3239 टीबी मरीज इलाजरत हैं। इसके अलावा सैंकड़ों टीबी मरीज इन्हीं टीबी चैंपियन की मदद से ठीक भी हुए हैं।
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मनोज कुमार ने बताया कि टीबी से ठीक हुए 11 युवाओं को टीबी चैंपियन बनाया गया है। उन्हें टीबी के लक्षण और इलाज के बारे में प्रशिक्षित भी किया गया। अभी इसमें से छह टीबी चैंपियन महत्वपूर्ण रूप से लगातार सक्रिय हैं। विभाग साल में एक से दो बार टीबी के सक्रिय मरीजों की खोज करता है। इसके अलावा प्राइवेट चिकित्सक भी टीबी के मरीजों की खोज में सहायता कर रहे हैं।
अपनी कहानी को बताते हैं जुबानी
सीतामढ़ी में टीबी चैंपियन के रूप में परिहार में कार्य कर रहे सुधीर कहते हैं, टीबी होने के दौरान हमनें जिन कठिनाईयों का अनुभव किया, उसे आधार मानकर हम टीबी मरीजों की काउंसलिंग करते हैं। विभाग से मिले टीबी मरीजों के नाम व पते पर हम उनके घर भी जाते हैं। उन्हें मिल रही दवाओं और सुविधाओं की जानकारी देते-लेते हैं। कमी होने पर सुविधाओं को पूर्ण करते हैं। टीबी चैंपियन कुल 10 तरह की सेवाओं का लाभ किसी भी टीबी मरीज को देते हैं।
उपलब्धि है हर टीबी मरीज दवा की कोर्स पूरा करें
बथनाहा की टीबी चैंपियन अर्चना कहती हैं कि टीबी चैंपियन यह सुनिश्चित करते हैं कि टीबी मरीज अपना कोर्स जरूर पूरा करे। वह प्रत्येक दिन दवाई खाए। इसके लिए हम उनकी काउंसलिंग भी करते हैं। कोई एक भी टीबी मरीज अपनी दवाई के कोर्स को पूरा कर लेता है तो यह हमारे लिए बड़ी उपलब्धि है और हमारा अनुभव इसमें काम आता है।
घर वालों की भी रक्षा करते हैं चैंपियन
टीबी चैंपियन की यह भी जिम्मेदारी होती है कि जिस घर में टीबी मरीज हैं, उस घर के लोगों में संदिग्ध मरीज की जांच सुनिश्चित कराएँ। घर के अन्य सदस्यों को टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी की दवा दें, ताकि घर के अन्य सदस्य टीबी जैसी बीमारी से ग्रसित न हों।
जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर चलाते हैं जागरूकता
रीच संस्था जो टीबी चैंपियन को साथ लेकर जिले में टीबी उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, उसके डीसी प्रफुल्ल चंद्र मिश्रा कहते हैं कि टीबी चैंपियन जनप्रतिनिधियों के साथ ग्राम सभा का आयोजन करते हैं। टीबी चैंपियन स्कूलों और आम ग्राम सभा बैठक कर लोगों को टीबी पर जागरूक करते हैं। ये लोग समाज में टीबी के कलंक और भेदभाव को भी हटाने का काम कर रहे हैं। इसके अलावा वैसे टीबी मरीज जो आर्थिक रूप से अक्षम हैं, उनके लिए विशेष प्रबंध की भी व्यवस्था करते हैं।
क्या कहते हैं पेशेंट
मिसरौलिया, डुमरा के एमडीआर पेशेंट नितेश राम कहते हैं कि वह पिछले सात महीनों से दवा का सेवन कर रहे हैं, उन्हें इसी वर्ष टीबी का पता चला। टीबी चैंपियन उनकी डोज और दवा के बारे में हमेशा पूछते रहते हैं। किसी भी तरह की दिक्कत होने पर वह उन्हें जाकर सदर अस्पताल में दिखाते हैं। अब उन्हें पहले से काफी आराम है। वहीं परिहार के 22 वर्षीय रंजीत पासवान कहते हैं कि वह चार महीने से टीबी चैंपियन सुधीर की देखरेख में दवा का सेवन कर रहे हैं और अब उनका स्वास्थ्य ठीक है,पर उन्हें अभी दो महीने और दवा खानी है।
सपोर्ट हब बनाने की चल रही बात
सीडीओ डॉ मनोज कुमार कहते हैं कि जिले के बथनाहा, डुमरा और रुन्नी सैदपुर में सपोर्ट हब बनाने की बात चल रही है। इसमें भी तीन टीबी चैंपियन बैठेंगे। वह वहाँ अपनी कहानी सुना कर वहां आए लोगों की टीबी पर काउंसलिंग भी करेंगे। इसके अलावा रैपिड रिस्पांस टीम की भी बात चल रही है, जिसमें फोन के माध्यम से हर टीबी मरीज से बात कर उसकी काउंसलिंग की जाएगी। टीबी चैंपियन टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की वह कड़ी हैं जो कहीं न कहीं टीबी के मरीजों को कार्यक्रम से जोड़ते हैं। टीबी मरीजों का यही जुड़ाव टीबी उन्मूलन के लिए सफलता का मार्ग बनाएगा।