डुमरांव. वीर कुंवर सिंह कृषि कालेज में बिहार कृषि प्रबंधन एवं प्रसार प्रशिक्षण संस्थान (बामेती ) द्वारा वित्त पोषित तीन दिवसीय खरीफ प्याज उत्पादन तकनीक पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन संयुक्त रुप से कृषि अभियंत्रिकी कालेज आरा प्राचार्य डा. जेपी सिंह एवं वीर कुंवर सिंह कृषि कालेज प्राचार्य डा. रियाज अहमद ने किया. प्राचार्य ने कहां कि प्याज एक नकदी फसल है, जिसमें विटामिन सी, फास्फोरस आदि पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं. प्याज का उपयोग सलाद, सब्जी, अचार एवं मसाले के रूप में किया जाता है. भारत में रबी तथा खरीफ दोनों ऋतूओं मे प्याज की खेती की जाती है. लेकिन खरीफ में प्याज की खेती में ज्यादा समस्याएं आती हैं. उन समस्याओं का ध्यान रखते हुए बामेती द्वारा इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें खरपतवारों एवं रोगों की समस्या आती है.
नर्सरी तैयार करते समय खास ध्यान रखने की जरूरत
उद्यान विभाग के वरीय वैज्ञानिक डा. धनंजय कुमार सिंह ने कहां कि खरीफ प्याज के लिए नर्सरी तैयार करते समय खास ध्यान रखने की जरूरत होती है. इस समय दिन में तापमान ज्यादा रहता है और अचानक बारिश होने के बाद इसमें गिरावट दर्ज होती है. इस वजह से नर्सरी को नुकसान पहुंचने का डर बना रहता है. इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि नर्सरी डालने से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लें. ताकि पौध प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम हो. डा. नीतू ने कहां कि प्याज की बुवाई खरीफ मौसम में, यदि बीज द्वारा पौधा बनाकर फसल लेनी हो तो, जून के मध्य तक करते हैं और यदि छोटे कन्दों द्वारा खरीफ में अगेती या हरी प्याज लेनी हो तो कन्दों को अगस्त माह में बोयें. एक हेक्टर में फसल लगाने के लिए 8-10 किग्रा बीज पर्याप्त होता है. पौधे एवं कन्द तैयार करने के लिए बीज को क्यारियों में बोयें, जो 3×1 मीटर आकर की हो. वर्षाकाल में उचित जल निकास हेतु क्यारियों की ऊंचाई 10-15 सेंटीमीटर रखनी चाहिए.
प्रशिक्षण में सात जनपद के कृषि विभाग से प्रतिभा
नर्सरी में अच्छी तरह खरपतवार निकालने तथा दवा डालने के लिए बीजों को 5-7 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में 2-3 सेंटीमीटर गहराई पर बोना अच्छा रहता है. क्यारियों की मिट्टी को बुवाई से पहले अच्छी तरह भुरभुरी कर लेनी चाहिए. प्रशिक्षण के इंचार्ज डा. आनन्द कुमार जैन बताया कि इस प्रशिक्षण में सात जनपद के कृषि विभाग से प्रतिभागी के रूप में प्रखंड उद्यान पदाधिकारी, सहायक तकनीकी प्रबंधक, प्रखंड तकनीकी प्रबंधक आत्मा तथा कृषि समन्वयक तीस प्रशिक्षार्थी भाग ले रहे हैं. इस कार्यक्रम का संचालन प्रशिक्षण कार्यक्रम के कोर्स डायरेक्टर डा. नीतू कुमारी ने किया. अंत में प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक पवन शुक्ला ने सभी का आभार एवं धन्यवाद व्यक्त किया.