सीतामढ़ी : जिला भीबीडी नियंत्रण कार्यालय में लगे बैनर-पोस्टर बता रहे बदलाव की कहानी 

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सीतामढ़ी। जिला भीबीडी नियंत्रण कार्यालय पिछले कई वर्षों से वेक्टर जनित रोग पर नियंत्रण को लेकर बेहतर कार्य कर रहा है। एईएस के लिए जिले में किये गए जागरूकता कार्यक्रम हो या कालाजार, फाइलेरिया अथवा डेंगू पर नियंत्रण के लिए किए गए काम। इन सभी कामों की गवाही दे रहा जिला भीबीडी नियंत्रण कार्यालय। कार्यालय में लगे बैनर पोस्टर जिला भीबीडी नियंत्रण कार्यालय से जुड़े हर कर्मी की मेहनत और लगन की गवाही दे रहा। जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. रवीन्द्र कुमार यादव ने बताया कि तस्वीर बेहद सकारात्मक है। इसका असर हालिया कुछ वर्षों में सीतामढ़ी में देखने को मिला है। एईएस में सीतामढ़ी ने जागरूकता की बदौलत बच्चों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने में सफल रहा। जिले में 2018 में कालाजार का उन्मूलन कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। 

एईएस के कहर को रोकने में सफलता मिली

जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. रवीन्द्र कुमार यादव ने बताया कि विभाग की व्यवस्थाओं का ही नतीजा है कि इस बार एईएस का कहर नहीं आया। हैंडबिल/पोस्टर वितरण, दीवाल लेखन, एलईडी वाहन परिचालन, होर्डिंग/फ्लेक्स इत्यादि के माध्यम से जागरूकता फैलायी गई। सभी पंचायत सरकार भवन, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्रों पर दिवाल लेखन किया गया। 170 चिकित्सा पदाधिकारी के साथ 138 एएनएम और 56 जीएनएम को प्रशिक्षण दिया गया। 2832 आशा कार्यकर्ता एवं 2959 आंगनबाड़ी को प्रशिक्षित किया गया। 16000 स्वयं सहायता समूह की जीविका दीदियों और लगभग 80 पंचायतों के मुखिया को भी एईएस से बचाव को लेकर प्रशिक्षण दिया गया। इन सभी का नतीजा रहा कि इस वर्ष जिले में एईएस-जेई के मामले को नियंत्रण में रखने में मदद मिली। 

कालाजार पर बनायी पहचान

डा रवींद्र यादव ने बताया कि सीतामढ़ी ने कालाजार उन्मूलन के लक्ष्य को वर्ष 2018 में ही हासिल कर लिया है। कालाजार के मरीज तेजी से घट रहे हैं। वर्ष 2011 में जहां कालाजार के 1299 मरीज थे। वहीं अब ढूंढ़े कहीं इक्के-दुक्के मरीज मिलते हैं। जिले में अब हम शून्य कालाजार की ओर बढ़ रहे हैं। चूँकि कालाजार एक दीर्घकालिक बीमारी है। अत: जरूरी है कि एक-एक मरीज को खोजकर प्रारंभिक अवस्था में ही उपचारित कर बीमारी के प्रसार पर रोक लगाई जाए। 

अब जिले को फाइलेरिया मुक्त बनाने का संकल्प

जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. रवीन्द्र कुमार यादव ने कहा कि कालाजार के बाद अब जिले को फाइलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में जिला भीबीडी नियंत्रण कार्यालय की ओर से लगातार प्रयास हो रहा है। इसके लिए हर एक कर्मी संकल्प के साथ काम कर रहा है। जिलेभर में फाइलेरिया क्लिनिक (एमएमडीपी) की शुरुआत की जा रही है। सभी पीएचसी- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और रेफरल अस्पतालों में एक-एक एमएमडीपी क्लिनिक, जबकि प्रखंड स्तर पर दो हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में एमएमडीपी क्लिनिक खोलने की कवायद चल रही है। इसकी शुरुआत सोनवर्षा सीएचसी अंतर्गत भुतही हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से हो गई है। बहुत जल्द अन्य जगहों पर भी इसकी शुरुआत हो जाएगी।  

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