बक्सर : हर माह घर-घर जाकर आशा करेंगी टीबी के लक्षण वाले पांच मरीजों की जांच

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बक्सर | राष्ट्रीय यक्ष्मा (टीबी) रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अब आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर टीबी को लेकर लोगों को जागरूक करेंगी। साथ ही, टीबी के लक्षणों वाले मरीजों के सैंपल लेने और उनको जागरूक करने का काम भी आशाओं द्वारा किया जाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान शुरू करने की तैयारी में है। जिसके तहत जिले में यक्ष्मा उन्मूलन के तहत सभी प्रखंडों में आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने का काम चल रहा है। इस क्रम में सिमरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत  भी  राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत आशा कार्यकर्ताओं का उन्मुखीकरण करते हुए उनको प्रशिक्षित किया गया। जिसमें विभागीय कर्मचारियों ने आशाओं को अभियान को लेकर जानकारी देने के साथ ही टीबी जांच के लिए बलगम के नमूने लेने का प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. चंद्रमणि  विमल, स्वास्थ्य प्रबंधक संजीव रंजन, बीसीएम गौतम कुमार, एसटीएलएस बबलू कुमार व एसटीएस पिंकी कुमरी के अलावा आशा फैसिलिटेटर व कार्यकर्ताएं शामिल रहीं।

जनांदोलन के रूप में चलाया जाएगा अभियान

प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. चंद्रमणि विमल ने आशा कार्यकर्ताओं को बताया कि 2025 तक जिले को यक्ष्मा मुक्त बंनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जिले में और भी कई प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य स्वास्थ्य समिति से प्राप्त निर्देश के अनुसार “टीबी हारेगा, देश जीतेगा” अभियान को एक जनांदोलन के रूप में चलाया जाएगा। जिसमें आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका अहम होगी। हर आशा को प्रतिमाह कम से कम पांच टीबी के लक्षणों वाले मरीजों की जांच करानी है। ताकि, ज्यादा से ज्यादा टीबी की जांच हो सके। टीबी के लक्षणों वाले मरीजों में टीबी की पुष्टि होने पर उनके पारिवारिक सदस्यों को भी टीबी  प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट (टीपीटी) दिया जाता है, ताकि परिवार के अन्य सदस्यों में यह बीमारी न फैले।

सूचना देने पर आशा को मिलेंगे 500 रुपये

एसटीएलएस बबलू कुमार ने बताया, खोजी अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ताएं टीबी के लक्षणों वाले मरीजों को जांच के लिए पीएचसी रेफर करेंगी। जिसमें रोग की पुष्टि होने पर उन्हें प्रथम सूचक के रूप में 500 रुपये की राशि भुगतान की जाती है। वहीं, निश्चय पोर्टल पर मरीजों का डाटा अपलोड होते ही पूरा इलाज उनके घर पर ही डॉट प्रोवाइडर के माध्यम से निःशुल्क किया जाता है। साथ ही, मरीजों को इलाज अवधि में प्रतिमाह 500 रुपये निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत उनके बैंक खाता में दी जाती है। उन्होंने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है। जो समय पर जांच व इलाज के अभाव में जानलेवा भी हो सकती है। साथ ही, मरीज के संपर्क में रहने वाले उसके परिजनों में भी टीबी के संक्रमण की संभावना प्रबल रहती है। दियारा इलाका होने के कारण लोगों में टीबी के प्रति जागरूकता की कमी है। जिसे आशा के माध्यम से दूर किया जाएगा।

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