डुमरांव. बिहार कृषि प्रबंधन एवं प्रसार प्रशिक्षण संस्थान बामेती पटना द्वारा प्रायोजित तीन दिवसीय फल वृक्ष प्रवर्धन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय में सफल समापन हुआ. कार्यवाहक प्राचार्य डा. धनंजय कुमार सिंह एवं कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय आरा के प्राचार्य ने सफल प्रतिभागियों के बीच सर्टिफिकेट वितरित किए, उन्होंने अपने संबोधन में कहां कि बागवानी अपने आप में एक ऐसा कार्य क्षेत्र व व्यवसाय है कि यदि कोई भी इसमें अपने कौशल का विकास कर लें तो वह रोजगार के साथ-साथ स्वयं का अपना व्यवसाय स्थापित कर आय अर्जित कर सकता है.
पौधे की संख्या में बढ़ोतरी करना प्रवर्धन
पौधे की संख्या में बढ़ोतरी करना प्रवर्धन कहा जाता है. प्रवर्धन परखनली की दिशा में भी किया जाने लगा है, टिशु कल्चर, शूट टिप ग्राफ्टिंग तथा एमरो कल्चर आदि प्रवर्धन की आधुनिक विधियां हैं. पौध प्रवर्धन बढ़ता व्यवसाय का रूप ले रहा है, यह बहुत ही लाभप्रद रोजगार सर्जन कौशल पूर्ण उद्यम है. तीसरे दिन के प्रशिक्षण के दौरान डा. प्रणव पांडे ने ट्रेनीज को बताते हुए कहां कि मात वृक्ष से उसके शाखा को अलग कर वृद्धि माध्यम में लगाना, ताकि वह सफलतापूर्वक नया पौधा बन सके. कलम है, तना कलम, जड़ कलम पत्ती कलम, तीन तरह के कलम होते हैं तथा वडिंग के बारे में बताते हुए कहां कि अंकुर जो एक कल का होती है को मूल ग्रंथ रूटस्टाक के साथ इस तरह जोड़ना चाहिए कि जुड़ जाएं और एक पौधे के रूप में सफलतापूर्वक वृद्धि कर सकें. इस पद्धति को बडिंग कहा जाता है.
बहुत प्राचीन काल से आम का प्रवर्धन बीज
बडिंग कार्य तब तक किया जाता है, जब पौधे पर रस का सक्रिय संचार हो रहा हो तथा पौधे बढ़वार कर रहे हो. पवन शुक्ला ने कहां की बहुत प्राचीन काल से आम का प्रवर्धन बीज द्वारा किया जाता है, परंतु विशेष किसमें ठीक उसी प्रकार के फल देने वाले पौधे प्राप्त करने के लिए वनस्पतिक प्रवर्धन अत्यंत आवश्यक है. वनस्पतिक प्रवर्धन में सब प्रथम मूल ग्रंथ का चुनाव करते हैं. मूल ग्रंथ में निश्चित गुणों का समन्वय करने के लिए पालिएंब्रीयानिक बीज से पौधे प्रयोग में लाइन नहीं चाहिए, कलम या गुट्टी से बने पौधे भी मूलवृन्त के रूप में प्रयुक्त हो सकते हैं.
क्षेत्र में जाएंगे किसानों का लाभ होगा
प्रशिक्षुओं ने अपने तीन प्रशिक्षण के अनुभव को साझा करते हुए कहां की इस तरह के कार्यक्रमों से निश्चित तौर से जब हम क्षेत्र में जाएंगे किसानों का लाभ होगा तथा कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिकों बहुत ही सरल तरीके से व्यवहारिक जानकारी दी. हम लोग उद्यान विभाग के सभी विशेषज्ञों का आभार व धन्यवाद व्यक्त करते हैं. समापन समारोह का संचालन वैज्ञानिक डा. नीतू कुमारी ने किया.