डुमरांव : कृषि कॉलेज में फल वृक्षों की प्रवर्धन तकनीक पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण प्रारंभ 

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डुमरांव. वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय में बुधवार से तीन दिवसीय “फल वृक्षों की प्रवर्धन तकनीक” पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ संयुक्त रुप से वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय के प्राचार्य डा. रियाज अहमद एवं कृषि अभियंत्रण महाविद्यालय आरा के प्राचार्य डा. जेपी सिंह द्वारा किया गया. डा. रियाज अहमद ने बताया की यह कार्यक्रम “बिहार कृषि प्रबंधन एवं प्रसार प्रशिक्षण संस्थान (बामेती ) पटना द्वारा वित्त पोषित है. इस प्रशिक्षण में बिहार राज्य के 9 जनपद के 30 पदाधिकारी भाग ले रहे हैं. मुख्य रूप से इसमें प्रखंड उद्यान पदाधिकारी, सहायक कोआर्डिनेटर तथा सहायक तकनीकी मैनेजर आत्मा हैं. प्राचार्य ने पौध प्रवर्धन तकनीकि के माध्यम से उच्च प्रजाति के फलदार पौधे को विकसित करने की बात कही. हमारे किसानों को अच्छा पौधा मिल सके और इसके लिए जरूरी है की पौधे सही विधि से उसका प्रवर्धन किया गया हो.

सही किस्म और गुणों वाली रोपण सामग्री का चयन

डा. जेपी सिंह ने अपने संबोधन में कहां की फलों से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए पौधों की रोपण सामग्री की गुणवत्ता बढ़ाना एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटक है. अतः किसानों को उपज वाली उत्कृष्ट किस्म के रोग मुक्त सामग्री उपलव्ध कराया जाना चाहिए. प्रशिक्षण के कोआर्डिनेटर डा. प्रणव पांडे ने कहां कि हमने इस तरह का कोर्स कंटेंट तैयार किया है, जिसमें ज्यादा से ज्यादा व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया जाएगा. डा. डीके सिंह ने अपने संबोधन में कहां कि वानस्पतिक तरीकों से परिवर्धित फल वृक्षों से फल उत्पादन को बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं. यह आवश्यक है कि सही किस्म और गुणों वाली रोपण सामग्री का चयन किया जाए, ताकि उसकी गुणवत्ता सुनिश्चित किया जा सके. प्रशिक्षण के कोआर्डिनेटर पवन शुक्ला ने कहां की फलों के अच्छे किस्म तैयार करने के लिए कई विधियों को अपनाया जा सकता है.

उच्च गुणवत्ता वाले होता है पौधे तैयार

जिनमें कटिंग, गुटिंग, ग्राफटिंग, बडिंग इत्यादि विधि का अपनाया जा सकता है. अमरूद के लिए गुटी लेचरिंग एवं बडिंग द्वारा कलम किए जा सकते हैं. वहीं आम में ग्राफ्टिंग विधि सबसे उपयुक्त है, जबकि बेर के लिए रिंग बडिंग कारगर है. उन्होंने बताया कि बीज से पौधा तैयार करने पर मदर प्लांट की तरह फल प्राप्त नहीं होता है. लेकिन अलैंगिक विधि से पौधे तैयार करने पर उच्च गुणवत्ता वाले पौधे तैयार होता है. जिसका फल भी अच्छा होता है. डा. नीतू कुमारी ने प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन किया. अंत में प्रशिक्षण कार्यक्रम के आफिसर इंचार्ज डा. आनन्द कुमार जैन ने धन्यवाद व आभार व्यक्त किया.

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