बक्सर | जिले में सुरक्षित प्रसव को लेकर स्वास्थ्य विभाग अपनी ओर से पूरी तरह से सुदृढ़ है। अब जरूरत है गर्भवती महिलाओं और उनके परिजनों के जागरूक होने की। लोगों को समझना होगा कि सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा देने के लिए प्रसव पूर्व प्रबंधन बहुत जरूरी है। इसमें जांच से लेकर सरकारी अस्पतालों में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं। सदर अस्पताल के साथ-साथ अनुमंडल और पीएचसी स्तर के सरकारी अस्पतालों में भी वैसी तमाम सुविधाएं हैं, जिससे सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा मिले। यहां पर प्रसव पूर्व जांच से लेकर प्रसव कराने तक की बेहतर व्यवस्था है। सुरक्षित मातृत्व के लिए एएनसी जांच कराना अत्यंत आवश्यक है। एएनसी जांच का मकसद मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाना होता है। हालांकि, एएनसी जांच के लिए प्रत्येक सप्ताह की 9वीं तिथि को शिविर लगाया जाता है। लेकिन, सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाएं एएनसी जांच के लिए कभी भी चिकित्सकों से संपर्क कर सकती हैं।
गर्भधारण से लेकर 12वें सप्ताह तक पहली जांच जरूरी
एसीएमओ डॉ. अनिल भट्ट ने बताया, सुरक्षित मातृत्व को लेकर सदर अस्पताल में बेहतर व्यवस्था है। दरअसल, गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व चार जांच होती है। पहली जांच गर्भधारण से लेकर 12वें सप्ताह तक, दूसरी जांच गर्भधारण के 14वें से लेकर 26वें सप्ताह तक, तीसरी जांच गर्भधारण के 28वें से 34वें सप्ताह तक और आखिरी जांच 36वें सप्ताह से लेकर प्रसव होने के पहले तक कराई जाती है। इसे एएनसी जांच कहते हैं। इस जांच के दौरान गर्भवती महिलाओं को जो भी सलाह दी जाती है, उस पर अमल करने की जरूरत होती है। इससे सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा मिलता है। साथ ही, महिलाओं को अपने खानपान पर भी ध्यान रखना होगा। ताकि, वे एनीमिया की चपेट में आने से बचें । इसके लिए गर्भवती महिलाओं को आयरन और कैल्सियम की दवा भी चिकित्सीय सलाह के अनुसार लेनी चाहिए। एएनसी जांच के दौरान आयरन और कैल्सियम की गोली कब लेनी है, इसकी सलाह डॉक्टर से अवश्य ले लें। डॉक्टर जैसी सलाह दें, उसका पालन करें।
प्रसव को लेकर तैयारी
डॉ. भट्ट ने बताया, प्रसव का समय नजदीक आए तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे कि सबसे पहले एम्बुलेंस या फिर किसी गाड़ी वाले का नंबर को पास में रखें। अगर दर्द शुरू हो तो तुरंत गाड़ी वाले को फोनकर बुलाएं। इसके अलावा दो-तीन ऐसे लोगों को तैयार रखें, जो कि जरूरत पड़ने पर रक्तदान कर सकें। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं को प्रोटिनयुक्त आहार का जरूर सेवन करना चाहिए। दूध, अंडा, मछली, मांस के साथ हरी सब्जियों का भरपूर सेवन करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को एक साथ दो जान की परवाह करनी पड़ती है। पौष्टिक और प्रोटिनयुक्त आहार लेने से दोनों का ध्यान रखा जाता है। जो गर्भवती महिलाएं मांसाहार का सेवन नहीं करती हैं, उन्हें दूध, हरी सब्जियों और फल के सेवन पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।