बेतिया। बेतिया कालाजार के सभी स्वरूपों से 2022 में मुक्त हो चुका है। कालाजार वीएल के तीन मरीज पहले ही ठीक हो चुके हैं। मंगलवार को चनपटिया में मौजूदा चमड़ी के कालाजार पीकेडीएल से ग्रसित मरीज भी ठीक हो गया है। चमड़ी के कालाजार से मुक्त होने की जानकारी सिविल सर्जन डॉ वीरेन्द्र कुमार चौधरी को जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ हरेन्द्र कुमार ने दी। सिविल सर्जन डॉ वीरेन्द्र कुमार चौधरी ने कहा कि जिले में अब कालाजार के सभी स्वरूपों का सफाया हो चुका है। जनवरी 2022 से अगस्त 2022 तक कालाजार पीकेडीएल के कुल सात मरीज पाए गए थे। सभी के सभी पूर्णतः स्वस्थ हो चुके हैं।
2018 में मिले थे सबसे ज्यादा पीकेडीएल मरीज
जिला वेक्टर बॉर्न नियंत्रण पदाधिकारी डॉ हरेन्द्र कुमार ने बताया कि सबसे ज्यादा पीकेडीएल के मरीज वर्ष 2015 में 9 तथा 2018 में 10 मिले थे। इसके बाद भी रोगियों की खोज जारी रही। इस वर्ष सात मरीज मिले, जिन्हें निरंतर चिकित्सा सुविधा के साथ फॉलोअप किया गया। आज सभी पीकेडीएल के मरीज पूरी तरह से ठीक हो गए हैं। इस वर्ष जिन प्रखंडों में पीकेडीएल या पोस्ट कालाजार के मरीज मिले हैं, उनमें ठकराहा में दो, चनपटिया में एक, सिकटा में दो, बेतिया में एक और मंझौलिया के एक मरीज शामिल हैं।
निरंतर करते हैं फॉलोअप
भीबीडीएस सुजीत कुमार ने कहा कि कालाजार मरीजों की खोज पूरे साल चलती है। आइआरएस चक्र के समय इनकी विशेष खोज की जाती है। कभी कभी कालाजार रोग से ठीक होने के बाद भी पीकेडीएल होने की समस्या लोगों में होती है।
सभी स्वास्थ्य केंद्रों में मौजूद आरके 39 किट
भीबीडीएस सुजीत कुमार ने कहा कि कालाजार की जांच आरके 39 किट से ही होती है। जो प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है। सभी पीएचसी पर इसके इलाज की भी व्यवस्था है। सच ये है कि समय पर इलाज नहीं होने से कालाजार से पीड़ित व्यक्ति की जान भी चली जाती है।