शिवहर। कुपोषण दूर करने को लेकर जिले में हर-संभव प्रयास किये जा रहे हैं। यहां पोषण पुनर्वास केंद्रों में बच्चों के भर्ती होने का सिलसिला लगातार जारी है। जिससे कुपोषण के खिलाफ लड़ाई को जीता जा सके। इस काम को आसान बनाने की दिशा में सीबीसीई शिवम कुमार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। पोषण पुनर्वास केंद्र में कार्यरत शिवम नियमित रूप से गृह भ्रमण कर कुपोषित बच्चों की पहचान करने जुटे हैं। गृह भ्रमण के दौरान अगर कोई बच्चा कुपोषित मिलता है तो परिजनों को पोषण पुनर्वास केंद्र भेजने के लिए प्रेरित करते हैं।
साथ ही बच्चों को स्वस्थ्य रखने के लिए अभिभावकों को उचित सलाह भी देते हैं। शिवम ने बताया कि उनका प्रयास कुपोषण स्तर में कमी लाना है और इनके प्रयास का सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है।
बच्चों का लेते हैं वजन, मापते हैं लंबाई
शिवम ने बताया कि वे गृह भ्रमण के दौरान बच्चों के वजन और लंबाई की माप लेते हैं। इसका उद्देश्य कुपोषित बच्चों की पहचान करना है। उम्र के हिसाब से बच्चों में वजन और लंबाई की माप से कुपोषण की पहचान की जाती है। बच्चों में बौनापन से भी कुपोषण की पहचान होती है। उम्र के हिसाब से लंबाई नहीं बढ़ने से बौनापन होता है। इसे ध्यान में रखते हुए बच्चों के वजन के साथ उनकी लंबाई भी मापी जाती है। शिवम ने बताया कि वे परिजनों को बताते हैं कि बच्चों में वजन कम या ज्यादा होने पर उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां हो सकती हैं। ऐसे में वे सदर अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चे को भर्ती करा सकते हैं।
एनआरसी में सैकड़ों बच्चों को मिला नवजीवन
शिवम ने बताया कि सदर अस्पताल स्थित पोषण एवं पुर्नवास केंद्र बच्चों को न केवल नवजीवन प्रदान कर रहा है, बल्कि कुपोषण के खिलाफ जारी जंग में बड़ा हथियार साबित हो रहा है। सदर अस्पताल में संचालित पोषण एवं पुर्नवास केंद्र में बच्चों को पौष्टिक भोजन के जरिए कुपोषण से बचाया जा रहा है। केंद्र में अभी तक सैकड़ों बच्चों को नवजीवन मिला है। यहां कुपोषित बच्चों व उनकी माताओं को 21 दिन तक रखने का प्रावधान है।