बेतिया। अंडकोष का सूजन या हाइड्रोसील का फाइलेरिया ऐसी बीमारी है जिसमें शर्म आड़े आ ही जाती है, पर जिसने भी इस शर्म को छोड़ा, उसने अंडकोष के सूजन या हाइड्रोसील की बीमारी पर विजय पा ली। कुछ ऐसा ही किस्सा जिले के नंदपुर गांव के शंभू गिरी का है। तीन साल पहले उनके अंडकोष में हुआ सूजन जल्द ही ज्यादा बढ़ गया। इससे न सिर्फ उनको अपने नियमित दिनचर्या में दिक्कत होती थी बल्कि वह अंदर ही अंदर हीन भावना से भी ग्रसित भी हो रहे थे।
वे कभी अपनी मन की व्यथा किसी को बता नहीं पाए। पेशे से वाहन चालक शंभू गिरी एक दिन जिला वेक्टर बॉर्न कार्यालय पहुंचे जहां उनपर एसडब्ल्यूएफ राजकुमार शर्मा की नजर पड़ी, पूछने पर शंभू गिरी ने अंडकोष में सूजन की बात स्वीकार की।
एक महीने में खत्म हुआ सूजन
शंभू गिरी कहते हैं कि जिला वेक्टर बॉर्न कार्यालय से पहले 24 दिन की दवा मिली। दवा खाते ही 15 दिन में सूजन आधा हो गया। जब मैंने पूरे 24 दिन दवा खाई तो मेरा पूरा सूजन कम हो गया। वापस मैं कार्यालय गया जहां राजकुमार शर्मा ने मुझे 12 दिन की और दवाई दी। अब मैं बिल्कुल ठीक हूं। मेरे अंदर अब सकारात्मकता आ गयी है। वाहन चालक होने के नाते मुझे अब ज्यादा देर बैठने में भी कोई दिक्कत नहीं होती। सबसे बड़ी बात है कि इस दवा का मुझपर कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हुआ।
ठीक हो सकता है अंडकोष का फाइलेरिया
जिला वेक्टर बोर्न पदाधिकारी डॉ हरेन्द्र कुमार कहते हैं कि अंडकोष के सूजन को ही हाइड्रोसील का फाइलेरिया कहते हैं। यह दवा से पूर्णतः ठीक हो सकता है। किसी किसी स्थिति में ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है। दवा और ऑपरेशन दोनों ही सरकारी अस्पतालों में बिल्कुल नि:शुल्क है।
एमडीए के दौरान जरूर खाएं दवा
वरीय फील्ड वर्कर फाइलेरिया तथा फाइलेरिया इंस्पेक्टर के इंचार्ज राजकुमार शर्मा कहते हैं कि वर्ष में एक बार जिले में सर्वजन दवा सेवन अभियान चलाया जाता है। जिसमें डीइसी और एलवेंडाजोल की गोली दी जाती है। कोई व्यक्ति फाइलेरिया से पीड़ित नहीं भी है और उसने गोली खायी है तो उसे आजीवन फाइलेरिया नहीं होगा। इस दवा को दो वर्ष से ऊपर के उम्र के व्यक्तियों को दिया जाता है।