सीतामढ़ी। केंद्र सरकार के एनीमिया मुक्त भारत अभियान को धरातल पर उतारने के लिए स्वास्थ्य विभाग गंभीर है। जिला में एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम को और अधिक मजबूती प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से हर संभव कोशिश की जा रही है। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एके झा ने बताया कि एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम को अब रणनीति के तहत आगे बढ़ाया जाएगा। जिससे कार्यक्रम में तेजी लाई जा सके। उन्होंने कहा कि आयरन युक्त भोज्य पदार्थों के फायदे, खाना बनाने के लिए लोहे की कढ़ाई का उपयोग एवं बच्चों के बीच स्कूलों में आईएफए संबंधित जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य, शिक्षा एवं आईसीडीएस विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर कार्यक्रम को गति दी जाएगी।
विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केंद्रों पर दी जाती है नि:शुल्क दवा
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एके झा ने बताया कि छह से 59 माह के बच्चों को सप्ताह में दो बार आयरन फोलिक एसिड (आईएफए) सिरप एक एमएल दिया जा रहा है। यह गृह भ्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ताओं द्वारा दिया जा रहा है। जबकि 5-9 साल के बच्चों को सप्ताह में गुलाबी आयरन फोलिक एसिड की एक गोली प्राथमिक विद्यालय में प्रत्येक बुधवार को मध्याह्न भोजन के बाद शिक्षकों के माध्यम से दिया जा रहा है। विद्यालय नहीं जाने वाले लडके-लडकियों को आशा के माध्यम से दवा की खुराक दी जाती है। 10 से 19 साल के किशोर और किशोरियों को हर हफ्ते आईएफए की एक नीली गोली दी जाती है। जिसे विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों पर प्रत्येक बुधवार को भोजन के बाद शिक्षकों एवं आंगनबाड़ी सेविका के माध्यम से निःशुल्क प्रदान की जाती है।
एनीमिया मानसिक-शारीरिक क्षमता को प्रभावित करता है
एनीमिया गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। यह मानसिक और शारीरिक क्षमता को प्रभावित करती है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण पांच के अनुसार, बिहार में 6 से 59 माह के 69.5 प्रतिशत बच्चे, प्रजनन आयु वर्ग की 63.6 प्रतिशत महिलाएं एवं 58.3 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं। डॉ. झा ने बताया कि इस अभियान के तहत 6 विभिन्न आयु वर्ग की महिलाओं और बच्चों को लक्षित किया गया है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य एनीमिया जैसे गंभीर रोगों से उनका बचाव करना है। इस कार्यक्रम के तहत एनीमिया में प्रतिवर्ष 3% की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है।