बक्सर : आंगनबाड़ी केंद्रों पर शिशुओं का हुआ अन्नप्राशन संस्कार

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बक्सर, 19 अगस्त | अमूमन जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर प्रत्येक माह 19 तारीख को शिशुओं का अन्नप्राशन दिवस मनाया जाता है। लेकिन, गुरुवार को आयोजित होने वाला अन्नप्राशन दिवस कुछ खास रहा। क्योंकि इस माह जन्माष्टमी के साथ-साथ आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों की मुंहजुट्ठी कराई गई। जिसको लेकर आंगनबाड़ी केंद्रों पर समारोह की तरह आयोजन किया गया। वहीं, आंगनबाड़ी केंद्रों पर नामांकित बच्चों ने राधा-कृष्ण का परिधान पहनकर माहौल को भक्तिमय बना दिया। इस बीच माताओं को बच्चों के साथ स्वयं को सुपोषित रखने के लिए टिप्स भी दिए गए।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने अनुपूरक आहार, पोषण की विशेषता व इसके महत्व पर चर्चा की। छह माह से ऊपर के बच्चों के अभिभावकों को बच्चों के लिए पूरक आहार की जरूरत के विषय में जानकारी दी गयी। साथ ही, माताओं को नियमित रूप से स्तनपान करने के लिए प्रेरित भी किया।

अनुपूरक आहार की जरूरतों पर हुई चर्चा

जिला प्रोग्राम पदाधिकारी तरणि कुमारी ने बताया, अन्नप्राशन दिवस के अवसर पर 6 से 9 माह के शिशु को दिनभर में 200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना, 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाने की सलाह दी गई। इसके अलावा अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जी और पीले नारंगी फल को शामिल करने की बात बताई गयी। चावल, रोटी, दाल, हरी सब्जी, अंडा एवं अन्य खाद्य पदार्थों की पोषक तत्वों के विषय में चर्चा कर अभिभावकों को इसके विषय में जागरूक किया गया। आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा 7 माह एवं इससे बड़े उम्र के ऐसे बच्चे जिनको खाने की आदत है, उन्हें अपने हाथों से खाना खिलाकर अन्नप्राशन कराया गया। इसके अलावा सेविकाएं खाने की इच्छा के संकेतों को पहचान कर साफ़ हाथ या चम्मच से बच्चों को खाना खिलाया।

शिशुओं के लिए स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार की जरूरत

राष्ट्रीय पोषण मिशन के जिला समन्वयक महेंद्र कुमार ने बताया, बच्चों में कुपोषण को कम करने में अनुपूरक आहार की अहम भूमिका होती है। एक वर्ष पूरा होने तक वजन लगभग तीन गुना एवं लंबाई जन्म से लगभग डेढ़ गुना बढ़ जाती है। जीवन के दो वर्षों में तंत्रिका प्रणाली एवं मस्तिष्क विकास के साथ सभी अंगों में संरचनात्मक एवं कार्यात्मक दृष्टिकोण से बहुत तेजी से विकास होता है। इसके लिए अतिरिक्त पोषक आहार की जरूरत होती है। इसलिए छह माह के बाद शिशुओं के लिए स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार की जरूरत होती है।

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उन्होंने बताया, शिशु के लिए प्रारंभिक आहार तैयार करने के लिए घर में मौजूद मुख्य खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है। सूजी, गेहूं का आटा, चावल, रागी, बाजरा आदि की सहायता से पानी या दूध में दलिया बनाया जा सकता है। बच्चे की आहार में चीनी अथवा गुड़ को भी शामिल करना चाहिए। इनसे उनकी ऊर्जा की जरूरत पूरी हो सके।


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