दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में रह रहंे गैर स्थानीय लोग भी मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कर सकेंगे। इस बात की घोषणा जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) हिरदेश कुमार की ओर से की गयी है। आयोग की ओर से कश्मीर से बाहर के लोगों को भी मतदान का अधिकार दिया है। इन मतदाताओं में कर्मचारी, छात्र, मजदूर या देश के दूसरे राज्यों के वे व्यक्ति के नाम शामिल किये जाएंगे जो आमतौर पर जम्मू-कश्मीर में वर्तमान समय में रह रहे हैं।
मतदाता सूची में जोड़ने में सक्षम
ऐसे लोग मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने में सक्षम हैं। यही नहीं जम्मू-कश्मीर में होने वाले चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल वे कर सकते हैं। रिपोर्ट की मानें तो, सीईओ हिरदेश कुमार ने कहा कि बाहरी लोगों को मतदाता के रूप में सूचीबद्ध करने के लिए अधिवास की जरूरत नहीं है। अन्य राज्यों के सशस्त्र बल के जवान जिनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर में हैं, वे भी अपना नाम मतदाता सूची में जोड़ने में सक्षम हैं।
किराये पर रहने वाले भी कर सकते है मताधिकार का प्रयोग
मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) हिरदेश कुमार ने साफ तौर पर कहां है कि गैर-स्थानीय लोगों के लिए मतदान के लिए कोई रोक नहीं है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई जम्मू कश्मीर में कितने समय से निवास कर रहा है। गैर स्थानीय जम्मू कश्मीर में रह रहा है या नहीं इस पर अंतिम फैसला ईआरओ की ओर से किया जाएगा। यहां किराये पर रहने वाले भी मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं।
लगभग 20-25 लाख नये मतदाता का नाम जुडेगा़
मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) हिरदेश कुमार ने कहा कि मतदाता सूची में शामिल होने की एकमात्र शर्त का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उक्त व्यक्ति ने अपने मूल राज्य से अपना मतदाता पंजीकरण रद्द कर दिया हो, इसका ध्यान रखने की जरूरत है। बताया जा रहा है कि आयोग के इस फैसले से मतदाता सूची में करीब 20 से 25 लाख नये मतदाता का नाम जुड़ जाएगा।
पीडीपी मुखिया की प्रतिक्रिया
मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) हिरदेश कुमार के इस फैसले पर पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती की प्रतिक्रिया आयी है। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि पहले जम्मू-कश्मीर में चुनावों को स्थगित करने का भारत सरकार का निर्णय और अब गैर स्थानीय लोगों को वोट का अधिकार दिया जाना, यह भाजपा के पक्ष में चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के साफ संकेत हैं। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहां कि इस फैसले का असली उद्देश्य स्थानीय लोगों को शक्तिहीन करना है।