दस्त नियंत्रण पखवाड़ा अब 13 अगस्त तक होगा संचालित

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आरा | मानसून के सक्रिय  होने के साथ ही सबसे ज्यादा आसानी से होने वाला रोग डायरिया है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला वर्ग 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों का होता है। छोटे बच्चों में घुटने के बल चलना या किसी भी पड़ी हुई वस्तु को मुंह में डालना सामान्य प्रक्रिया है। नतीजा बरसात के गंदे पानी और गीले फर्श या घर के आस पास मौजूद नमी से पनपे रोगाणु उन्हे तुरंत प्रभावित कर देते हैं। इन बातों को ध्यान में रखते हुये स्वास्थ्य विभाग द्वारा 15 जुलाई से सभी जिले में दस्त नियंत्रण पखवाड़ा चलाया जा रहा है। ताकि अभिभावकों को दस्त के लक्षणों और उससे बचने के तरीके से अवगत करा कर सामान्य से दिखने वाले इस  स्वास्थ्य समस्या के कुप्रभाव से शिशुओं को बचाया जा सके। अब इस पखवाड़े को 13 अगस्त तक चलाया जायेगा। इस संबंध में कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार संजय कुमार सिंह ने सभी सिविल सर्जन को पत्र जारी कर आवश्यक निर्देश जारी किया है।

अगले दो सप्ताह तक बढ़ी तिथि

जारी पत्र के अनुसार दस्त नियंत्रण पखवाड़े को 30 जुलाई के बाद भी दो सप्ताह (13 अगस्त तक) के लिए बढ़ाया गया है। इसका मूल उद्देश्य शत प्रतिशत लक्ष्य की पूर्ति करना है। दस्त नियंत्रण पखवाड़े में आशा कार्यकर्ता व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के अलावा विभिन्न विभागों के समन्वय से कार्य को पूरा किया जा रहा है।

पांच वर्ष तक के बच्चों को किया गया है लक्षित

दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान जिले के सभी पांच वर्ष तक के बच्चों को लक्षित किया गया है। अभियान के तहत स्वास्थ्य केंद्रों, अतिसंवेदनशील क्षेत्रों, शहरी झुग्गी-झोपड़ी, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, ईंट-भट्ठे के निर्माण वाले क्षेत्र, अनाथालय और ऐसे चिह्नित क्षेत्र जहां दो तीन वर्ष पूर्व तक दस्त के मामले अधिक पाये गये हों, छोटे गांव व टोले जहां साफ सफाई और पानी की आपूर्ति एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी हो, ऐसी जगहों को प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में रखा गया है।

जिंक टेबलेट का भी किया जा रहा वितरण

सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का लक्ष्य जिले के  5 वर्ष तक के बच्चे तक ओआरएस पैकेट पहुंचाना भी है। साथ ही डायरिया से बचाव को लेकर ओआरएस और जिंक टेबलेट देने लिए प्रेरित करने के साथ टेबलेट दिया भी जा रहा है।

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घरेलु उपचार से बचें, लक्षणों को पहचाने

डायरिया तीन प्रकार के होते हैं। एक्यूट वाटरी डायरिया जिसमें दस्त काफ़ी पतला होता है एवं यह कुछ घंटों या कुछ दिनों तक ही होता है। इससे बच्चे के  वजन में गिरावट होने का भय रहता है। दूसरा एक्यूट ब्लडी डायरिय,  इससे आंत में संक्रमण एवं कुपोषण हो सकता है। तीसरा परसिस्टेंट डायरिया जो लंबे समय तक रहता है और बच्चों को अतिकुपोषित कर सेहत के लिए काफी नुकसान दायक हो सकता है। इसलिए बच्चो में  डायरिया होने पर यदि ओआरएस और ज़िंक से फायदा होता ना दिखे तो घरेलू उपायों के भरोसे ना बैठ कर अविलंब बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएँ।

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