बक्सर : बाल हृदय योजना के माध्यम से आरव के दिल के छेद का हुआ सफल ऑपरेशन

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बक्सर | कई बार यह देखने को मिलता है कि गंभीर बीमारियों से जुझने वाले मरीज को ऑपरेशन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। यह इंतजार कई कारणों से हो सकता है। किसी की माली हालत ठीक नहीं होती, तो किसी का शरीर बीमारी तो झेल लेता है, लेकिन ऑपरेशन की जटिलताओं को झेलने के लिए उनका शरीर पूरी तरह से तैयार नहीं होता। ऐसी ही एक कहानी है, आठ वर्षीय आरव त्रिपाठी की। जिसको अपने दिल में छेद के सफल ऑपरेशन के लिए सात साल का लंबा इंतजार करना पड़ा। आरव त्रिपाठी के दिल में जन्म से ही छेद था। जिसकी जानकारी उसके माता पिता को शुरुआत से ही थी। लेकिन, उस वक्त शिशु अवस्था में चिकित्सकों ने ऑपरेशन कराने की राय नहीं दी। चिकित्सकों ने उसके माता-पिता को बताया कि जब आरव सात-आठ साल का हो जाएगा, तब ऑपरेशन के सफल होने की संभावना अधिक रहेगी। जिसके बाद उन्होंने इंतजार करने की ठानी। इस बीच आरव बीमार भी रहने लगा। कभी कभी उसकी तबियत काफी बिगड़ जाती। जिससे परिजन काफी परेशान हो जाते। लेकिन, लंबे इंतजार के बाद भी उसका परिणाम सुखद रहा। आरव के दिल का ऑपरेशन भी हुआ और आज वह पूरी तरह से स्वस्थ है।

अखबार के माध्यम से मिली योजना की जानकारी :
आरव के पिता विशाल कुमार त्रिपाठी डुमरांव प्रखंड के काजीपुर निवासी हैं। उन्होंने बताया, उनको दैनिक अखबार के माध्यम से मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना-2 के संबंध में जानकारी हुई। जिसमें उन्होंने बाल हृदय रोगियों के नि:शुल्क इलाज के विषय में जाना। उसके बाद वे जिले में पदस्थापित आरबीएसके के चिकित्सकों से संपर्क करने लगे। जिसके बाद उन्हें उम्मीद की किरण दिखाई देने लगी। जब आरव सात साल का हो गया, तब आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ. विकास कुमार की सहायता से पटना में आरव की जांच कराई गई। बीते 14 मार्च को आरव को अहमदाबाद भेजा गया। जहां पर उसके दिल में छेद का सफल ऑपरेशन कराया गया। बिहार सरकार द्वारा नि:शुल्क ऑपरेशन कराने की इस योजना से आरव अब पूरी तरह से ठीक है।

सरकार ने उठाया आवागमन का भी खर्च :
आरव की मां प्रीति भारती ने बताया, मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना की बदौलत उनके परिवार पर आर्थिक दबाव नहीं पड़ा। यहां तक कि राज्य सरकार ने इलाज के साथ-साथ उनके आवागमन का भी खर्च उठाया। जिसके लिए उनका पूरा परिवार राज्य सरकार का शुक्रगुजार है। उल्लेखनीय है कि सरकार लाभार्थी बच्चे के साथ मां के अतिरिक्त एक और परिजन के खर्च भी उठाती है। राज्य के बाहर के चिह्नित चैरिटेबल ट्रस्ट अस्पताल/ निजी अस्पताल में चिकित्सा के लिए आने जाने के लिए परिवहन भाड़े के रूप में बाल हृदय रोगी के लिये 5,000 रुपये है। वहीं, अटेंडेंट के लिए अधिकतम धन राशि 10,000 रुपये हैं। उनके साथ एक समन्वयक भी रहते हैं, जो इलाज के बाद बच्चों के साथ ही वापस आते हैं।

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