मोतिहारी: निजी चिकिसकों से इलाजरत टीबी मरीजों को डीएफवाई दे रही है दवा

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– टीबी से डरने की नहीं, लड़ने की जरूरत है : डॉ रंजीत राय

– दवाई खाना बीच में  न छोड़ें, डोज पूरी करें 

-2025 तक टीबी को हराना है, देश को टीबी मुक्त बनाना है

मोतिहारी। जिले में डॉक्टर फ़ॉर यू संस्था द्वारा जिला यक्ष्मा केंद्र के साथ-साथ ढ़ाका, रक्सौल व अन्य यक्ष्मा केंद्रों पर प्रतिदिन प्राइवेट चिकिसक से इलाजरत मरीजों को मुफ्त दवा दी जा रही है। इससे इलाजरत मरीजों को काफ़ी सहूलियत हो रही है। मोतिहारी के यक्ष्मा केंद्र पर लगभग 30 से 40 मरीजों को दवाएं  उपलब्ध कराई  जा रही है।

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टीबी से डरने की नहीं, लड़ने की जरूरत है-

टीबी से डरने की नहीं, बल्कि समझ के साथ इससे लड़ने की जरूरत है – यह कहना है जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रंजीत राय का। उन्होंने बताया कि सरकारी स्तर पर एवं अन्य स्वास्थ्य संस्थाओं की मदद से जिले के 27 प्रखंडों के ग्रामीण क्षेत्रों, सामुदायिक स्थानों आदि पर जाकर स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा लोगों को टीबी की बीमारी के लक्षण व उसके इलाज से  संबंधित जानकारियाँ उपलब्ध कराई जा रही है।

दवाई खाना बीच में न छोड़ें, डोज पूरी करें- 

क्षय रोग की दवा बीच में छोड़ना खतरनाक है। पूरा कोर्स करना जरूरी है, तभी टीबी से मुक्ति मिल सकती है। दवा शुरू होने के एक माह बाद ही रोगी स्वस्थ महसूस करने लगते हैं। ऐसे में कई रोगी दवा बीच में ही छोड़ देते हैं। बीच में दवा छोड़ने से वे पुनः टीबी के शिकार बन जाते हैं, जिनका उपचार मुश्किल हो जाता है। अतः भूल से भी दवा बीच में बंद न करें।

2025 तक टीबी को हराना है, देश को टीबी मुक्त बनाना है-

डॉ राय ने बताया कि समय पर टीबी के मरीजों की पहचान होगी तभी 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का सपना साकार होगा। उन्होंने बताया कि जिले में टीबी के  2 हजार 185 मरीज सरकारी एवं 1 हजार 561 मरीज निजी चिकित्सकों से इलाज करा रहे हैं। जिले के सभी प्रखंडों में टीबी मरीजों के लिए संपूर्ण इलाज की व्यवस्था उपलब्ध है। सरकारी के साथ प्राइवेट चिकित्सक भी मरीजों में टीबी के लक्षण मिलने पर सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर जाँच व सरकार द्वारा दी जा रही मुफ्त इलाज में सहयोग कर रहे हैं।

सरकार द्वारा टीबी मरीजों को मिलती है सहायता-

जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रंजीत राय ने बताया कि मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत डीबीटी के माध्यम से प्रति माह 500 रुपये की पोषाहार की राशि सहायता के रूप में दी जाती है।

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