आरा : बारिश में घरों के आसपास जलजमाव दे सकता है मलेरिया और डेंगू को न्यौता

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– जलजमाव के कारण शहरी और ग्रामीण इलाकों में बढ़ गया है मच्छरों का प्रकोप
– बुखार होने की स्थिति में तुरंत चिकित्स से करें संपर्क और कराएं खून की जांच

आरा | जिले में मानसून आने के साथ ही बारिश होने लगी है। एक ओर जहां बारिश की वजह से लोगों को गर्मी से राहत मिली है, वहीं जलजमाव की समस्या से मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ने लगा है। शहरी हो या ग्रामीण क्षेत्र मच्छरों से लोग परेशान हैं। ऐसे में मच्छरों के कारण डेंगू और मलेरिया के मरीजों के बढ़ने की संभावना अधिक हो चुकी है। जिसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग लोगों को मच्छरों से बचाव करने और सचेत रहने की सलाह दे रहा है। ताकि, लोग जागरूक हो क्योंकि मच्छरों से होने वाली बीमारियों में मलेरिया, फाइलेरिया, डेंगू, जापानी इन्सेफेलाइटिस, जीका वायरस, चिकनगुनिया, हेपेटाइटिस ए आदि प्रमुख बीमारियां हैं। इसके अलावा बहुत सारी बीमारियां हैं जो मच्छरों के काटने से होती हैं। हालांकि, ये सभी बीमारियां अलग- अलग मच्छरों के काटने से होते हैं। लेकिन, सबसे अधिक मामले मलेरिया और डेंगू के ही आते हैं।

मलेरिया का तेज बुखार दिमाग पर भी चढ़ जाता है :
जिला वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. विनोद कुमार ने बताया, मलेरिया एक प्रकार का बुखार है, जो प्लाजमोडियम नामक परजीवी से संक्रमित मादा एनोफिलिज मच्छर के काटने से होता है। इसमें कपकपी के साथ 103 से लेकर 105 डिग्री तक बुखार होता और कुछ घंटों के बाद पसीने के साथ बुखार उतर जाता है, लेकिन निश्चित अंतराल पर आते-जाते रहता है। उन्होंने बताया कि फेलसीपेरम मलेरिया (दिमागी मलेरिया) की अवस्था में तेज बुखार होता है, जो दिमाग पर भी चढ़ जाता है। इस दौरान फेफड़े में सूजन हो जाती है। पीलिया एवं गुर्दे की खराबी फेलसीपेरम मलेरिया की मुख्य पहचान है। जिसमें खून की कमी हो जाती है।

सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क जांच व इलाज की सुविधा :
‘मलेरिया बुखार होने पर पीड़ित व्यक्ति को अपने गांव की आशा दीदी या नजदीकी सरकारी अस्पताल जाना चाहिए। खून की जांच में मलेरिया निकलने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा लेनी चाहिए। सरकारी अस्पतालों में इसकी निःशुल्क जांच और इलाज की सुविधा है। वहीं, आशा कार्यकर्ता क्षेत्र में जाकर मलेरिया के संभावित मरीजों की आरडीटी किट से जांच कर रही हैं। प्रति जांच उन्हें 15 रुपये की राशि देने की भी व्यवस्था है। साथ ही, मरीज मिलने पर उसका इलाज कराने पर 75 रुपये प्रति मरीज अलग से दिए जाने की व्यवस्था है।’ – डॉ. केएन सिन्हा, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, भोजपुर

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सोते समय हमेशा मच्छरदानी का प्रयोग करें :
मलेरिया से बचने के लिए लोगों को जागरूक होना होगा। वे पूरे बदन को ढकने वाले कपड़े पहनें तथा सोते समय हमेशा मच्छरदानी का प्रयोग करें। साथ ही घर के आसपास साफ-सफाई रखें और जलजमाव वाली जगहों को मिट्टी से भर दें। जलजमाव वाले स्थान पर केरोसिन तेल या डीजल या जले हुए मोबिल डालें। घर के आसापस बहने वाली नाले की साफ-सफाई करते रहें। मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में सरकार की तरफ से डीडीटी का छिड़काव कराया जाता है। छिड़काव कर्मियों के आने पर उनका सहयोग करें और छिड़काव की तिथि की जानकारी ग्रामीणों को दें।

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