-जन शिक्षण संस्थान बक्सर के संस्थापक चेयरमैन निर्मल कुमार सिंह ने कहा जल संकट और उसके प्रबंधन का विषय भारत में आम जनता की चर्चाओं में स्थान नहीं पा सका यह चिंता का विषय है

बक्सर : स्वच्छता पखवाड़ा कार्यक्रम के अंतर्गत जेएसएस प्रशिक्षण केंद्र में आयोजित वार्मिंग कंपोस्ट एवं जल प्रबंधन विषय पर जन शिक्षण संस्थान बक्सर ने ग्राम मझरिया प्रशिक्षण केंद्र पर वार्मिंग कंपोस्ट एवं जल प्रबंधन आयोजित बैठक में बोलते हुए जन शिक्षण संस्थान बक्सर के संस्थापक चेयरमैन निर्मल कुमार सिंह ने कहां कि जल संकट और उसके प्रबंधन का विषय भारत में आम जनता की चर्चाओं में स्थान नहीं पा सका है, यह चिंता का विषय है।

जल मानव अस्तित्व को बनाए रखने के लिए एक प्रमुख प्राकृतिक संसाधन है। यह न केवल ग्रामीण और शहरी समुदायों की स्वच्छता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, बल्कि कृषि के सभी रूपों और अधिकांश औद्योगिक उत्पादन प्रक्रियाओं के लिए भी आवश्यक है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि भारत एक गंभीर जल संकट के कगार पर हैं। मौजूदा जल संसाधन संकट में है, देश की नदियां प्रदूषित हो रही है। जल संचय तंत्र बिगड़ रहे हैं और भूजल स्तर लगातार घट रहा है। इन सभी के बावजूद जल संकट और उसके प्रबंधन का विषय भारत में आम जनता की चर्चाओं में स्थान नहीं पा सका है। आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत के शहरी क्षेत्रों में 970 लाख लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिलता है। जबकि देश के ग्रामीण इलाकों में तकरीबन 70% लोग प्रदूषित पानी पीने और 33 करोड़ लोग सूखे वाली जगह में रहने को मजबूर हैं। देश में जल की कुल खपत का तकरीबन 85% हिस्सा कृषि क्षेत्र में प्रयोग किया जाता है।

भारत में व्याप्त पानी की समस्या अस्पष्टता जल संरक्षण को लेकर हमारे को प्रबंधन को दर्शाता है ना कि पानी की कमी को जल संसाधन सीमित है और हमें उन्हें अगली पीढ़ी के लिए भी बचा कर रखना है तथा यह उचित जल प्रबंधन के अभाव में संभव नहीं हो सकता। चुकि जल स्वच्छता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए देश में स्वच्छता को तब तक पहुंच सुनिश्चित नहीं किया जा सकता। जब तक जल का उचित प्रबंधन न किया जाए।आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत के शहरी क्षेत्रों में 970 लाख लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिलता है। जबकि देश के ग्रामीण इलाकों में तकरीबन 70% लोग प्रदूषित पानी पीने और 33 करोड़ लोग सूखे वाली जगह पर रहने को मजबूर है। जल को सुरक्षित करना उतना ही जरूरी हो जाता है। जितना जरूरी जीवन को सुरक्षित रखना है।

जल संरक्षण का अर्थ पानी बर्बादी तथा प्रदूषण को रोकने से है। जल संगठन एक अनिवार्य आवश्यकता है। क्योंकि वर्षा जल हर समय उपलब्ध नहीं रहता अतः पानी की कमी को पूरा करने के लिए पानी का संरक्षण आवश्यक है।जल संरक्षण पानी के अनावश्यक उपयोग को कम करना और कुशलता पूर्वक पानी का उपयोग करने की प्रथा है। साथ ही जल संचय करना, जल कुआ स्थानीय आवश्यकताओं और भौगोलिक स्थितियों की आवश्यकता अनुसार संचित करके हम भू-जल भंडार को बढ़ा सकते हैं। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रशिक्षणार्थी समेत ग्रामीण उपस्थित रहें।कार्यक्रम की अध्यक्षता ह्लदया नारायण उपाध्याय अतिथियों का स्वागत वार्ड सदस्य दिनेश कुमार ने किया।

इसके साथ ही वार्ड सदस्य कामेश्वर उपाध्याय, मिथिलेश सिंह, उमेश चंद्र श्रीवास्तव ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम में जेएसएस बक्सर के निदेशक मधु सिंह ने आगे भी मझरिया में प्रशिक्षण केंद्र जारी रखने की बात कही। अंत में धन्यवाद ज्ञापन जेएसएस प्रशिक्षण केंद्र मझरिया की अनुदेशक का पुष्पा श्रीवास्तव ने की। मुख्य कार्यालय बक्सर के मुख्य अनुदेशिकाओं में सोनी कुमारी, मीरा पांडे एवं बिंदू देवी उपस्थित रही।