सीतामढ़ी: पांच संदिग्ध टीबी मरीजों की हर माह करें पहचान

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– राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के तहत आशा फैसिलिटेटर का उन्मुखीकरण सह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित, मिले कई निर्देश

सीतामढ़ी। जीएनएम स्कूल, सीतामढ़ी के सभाकक्ष में शुक्रवार को राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत जिलेभर की आशा फैसिलिटेटर का उन्मुखीकरण सह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मनोज कुमार द्वारा 115 आशा फैसिलिटेटर का उन्मुखीकरण किया गया। इस अवसर पर जिला सामुदायिक उत्प्रेरक समरेंद्र नारायण वर्मा द्वारा हर आशा को प्रतिमाह कम से कम पांच संदिग्ध यक्ष्मा मरीजों की जांच नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में कराने का निर्देश दिया गया। संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. मनोज कुमार ने यक्ष्मा रोग के बारे में विस्तार से बताया तथा  निर्देश दिया  कि अपने पोषण क्षेत्र अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को दो सप्ताह या उससे अधिक की खांसी, बुखार लगना, वजन कम होना, भूख नहीं लगना, पसीना आना आदि लक्षण की जानकारी मिले तो उनकी जांच नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में सुनिश्चित करें। 

डॉट प्रोवाइडर से इलाज की निःशुल्क सुविधा-

डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि जिलेभर के स्वास्थ्य केंद्रों पर बलगम की जांच माइक्रोस्कोप एवं टूनेट सीबीनेट मशीन द्वारा निःशुल्क उपलब्ध है। जिला यक्ष्मा केंद्र एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एक्सरे की सुविधा भी उपलब्ध है। मरीजों की जांच उपरांत यक्ष्मा रोग की पुष्टि होने पर पूरा इलाज उनके घर पर ही डॉट प्रोवाइडर के माध्यम से निःशुल्क किया जाता है। डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि विगत माह में 458 नए यक्ष्मा रोगी की खोज की गई है एवं वर्तमान में लगभग 2500 रोगियों का इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा कि नए यक्ष्मा रोगी चिन्हित होने पर उनके पारिवारिक सदस्यों को भी टीवी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट दिया जाता है, ताकि परिवार के अन्य सदस्यों में यह बीमारी नहीं फैले। 

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यक्ष्मा उन्मूलन के लक्ष्य को पूरा करने का संकल्प लिया-

डीपीसी रंजन कुमार एवं डीईओ सह लेखापाल रंजन शरण ने बताया कि यक्ष्मा मरीजों को आशा कार्यकर्ता द्वारा नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जांच हेतु रेफर किए जाने और रोग की पुष्टि होने पर उन्हें प्रथम सूचक के रूप में 500 की राशि भुगतान की जाती है। मरीजों को इलाज अवधि में प्रतिमाह 500 निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत उनके बैंक खाता में दी जाती है। अंत में सभी आशा कार्यकर्ताओं द्वारा 2025 तक जिले से यक्ष्मा उन्मूलन के लक्ष्य को देखते हुए अपना पूर्ण प्रयास करने का संकल्प लिया गया।

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