बक्सर : टीबी ठीक होने के बाद फिर संक्रमित हुईं भठिया देवी, अब सीएचओ की निगरानी में करा रही इलाज

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• एक साल पहले टीबी से पूरी तरह निजात मिलने के बाद नदांव की टीबी मरीज में फिर दिखे लक्षण
• सीएचओ ने कहा – फिर से संक्रमित होने की वजह की करेंगे तलाश, परिवार के सदस्यों की भी करायी जाएगी जांच

बक्सर | कई गंभीर बीमारियां ऐसी हैं, जिनसे निजात पाने के लिए काफी लंबा इलाज चलाना पड़ता है। लेकिन, इस बीच यदि कोई भी चूक रह जाती है, तो वो बीमारी कुछ समय बाद फिर से मरीज को अपनी चपेट में ले लेती है। जिनमें टीबी भी शामिल है। यदि टीबी का इलाज ठीक से नहीं हुआ या फिर मरीजों द्वारा इसमें लापरवाही बरती गई, तो उनके टीबी से फिर से ग्रसित होने संभावना बढ़ जाती है। ऐसा ही हाल नदांव निवासी विब्नेश्वर चौहान की 49 वर्षीय पत्नी भठिया देवी के साथ हुआ। जिनको आज से डेढ़ साल पहले टीबी हुआ था। छह महीने इलाज कराने के बाद वो ठीक भी हुईं और रिपोर्ट भी नेगेटिव आई। लेकिन, दो माह से उनमें टीबी के लक्षण फिर से दिखने लगे। कभी खांसी के बाद उनके बलगम में खून दिखाई पड़ने लगा। जिसके बाद वह स्थानीय गांव स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पहुंची। जहां सीएचओ के माध्यम से उन्होंने जांच कराई। रिपोर्ट में उनके टीबी से फिर से संक्रमित होने की बात आई। फिलवक्त उनका इलाज फिर से शुरू हो चुका है। लेकिन, इस बार वे कोई भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहती।

इलाज के दौरान रखेंगी अपना पूरा ख्याल, रहेंगी सतर्क :
भठिया देवी ने कहा कि पहले जब वे बीमार हुई थीं, तब उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं हुई थी। लेकिन, इस बार टीबी की चपेट में आने के बाद वे खांसी और अन्य लक्षणों से काफी परेशान हैं। उन्होंने बताया, इस बार वे इलाज के क्रम में कोई भी लापरवाही नहीं बरतेंगी। इलाज के दौरान अपने शरीर का पूरा ध्यान रखेंगी और पहले ज्यादा सतर्क रहेंगी। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट आने के बाद भले ही उनका इलाज शुरू हो गया है। लेकिन, वे अपना इलाज नदांव सीएचओ प्रियंका कुमारी की निगरानी में ही कराएंगी। ताकि, उन्हें पता चल सके कि कब कब उन्हें क्या क्या सावधानियां बरतनी है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करने में कौन-कौन आहार उनके लिए फायदेमंद साबित होंगे।

दवाओं का पूरा कोर्स करने के साथ सावधानी जरूरी :
नदांव सीएचओ प्रियंका कुमारी ने बताया, टीबी लाइलाज नहीं है। लेकिन, इलाज के दौरान आराम महसूस करने पर बीच में दवा छोड़ना सबसे बड़ी लापरवाही साबित होती है। टीबी के मरीज यदि छह महीने तक दवा लेकर कोर्स पूरा कर लें तो टीबी पूरी तरह ठीक हो सकती है। समय पर इलाज नहीं कराने व दवा की खुराक नहीं लेने से साधारण टीबी एमडीआर (मेडिकल ड्रग्स रेजिसटेंस) टीबी में तब्दील हो जाती है। उन्होंने कहा कि दवा खाने पर दस से 15 दिन में मरीज को आराम मिल जाता है। इसका अर्थ यह नहीं हुआ कि टीबी ठीक हो गई। दवा का छह महीने का कोर्स होता है। उसे पूरा करना बेहद जरूरी है।

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परिवार के सभी सदस्यों की कराएंगी जांच :
सीएचओ प्रियंका कुमारी ने कहा, भठिया देवी के फिर से टीबी संक्रमित होने की वे वजह तलाश करेंगी। उनके परिवार के रहन-सहन व दैनिक कार्यों का भी जायजा लेंगी। ताकि, पता चल सके कि इलाज के दौरान भठिया देवी से कहां चूक हुई थी। जिससे उन चीजों में सुधार लाया भी लाया जा सकेगा। साथ ही, भठिया देवी के परिवार के सभी सदस्यों की टीबी जांच कराएंगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके की कोई और भी टीबी का मरीज तो नहीं। उन्होंने बताया, कई बार ऐसा होता है कि मरीज से किसी स्वस्थ सदस्य को संक्रमण हो गया। लेकिन, प्रतिरोधक क्षमता ठीक होने के कारण नए मरीज को कुछ नहीं हुआ और जब पुराना मरीज ठीक हो चुका रहता है, तो नए मरीज के माध्यम से वह फिर से संक्रमित हो जाता है।

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