
– 2022 में चिह्नित 159 मरीज का हो रहा उपचार
– बीडाकुलीन एमडीआर टीबी के उपचार में कारगर
पटना | क्षय रोग यानि टीबी माइकोबैक्टीरियम नामक जीवाणु के संक्रमण के कारण होता है. इस बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण शरीर की प्रतिरक्षक शक्ति में बहुत गिरावट आ जाती है.आमतौर पर टीबी का इलाज एंटी-टीबी दवाओं के प्रथम श्रेणी की दवाओं के साथ शुरू किया जाता है. मल्टी ड्रग रेजिसटेंट टीबी (एमडीआर-टीबी) टीबी संक्रमण का एक रूप है जो कम से कम दो सबसे शक्तिशाली प्रथम-लाइन की दवाओं के साथ इलाज के लिए प्रतिरोधी हो जाती हैं. इससे टीबी इलाज के लिए दी जाने वाली प्रथम पंक्ति की दवाइयों का असर रोगी पर होना बंद हो जाता है जिससे मरीज की समस्याएं बढ़ जाती हैं. साथ ही ससमय सटीक इलाज नहीं किये जाने पर इससे मृत्यु तक हो सकती है.
2022 में चिह्नित 159 मरीज का हो रहा उपचार:
जिला यक्ष्मा विभाग से प्राप्त ताजा आंकड़ों के अनुसार पटना जिला में अभी 227 मरीजों का उपचार किया जा रहा है जो एमडीआर टीबी से ग्रसित हैं. इनमे से 159 मरीज इस साल चिह्नित किये गए व उपचाराधीन हैं. प्रदेश में 2021 में 1 लाख 32 हजार 145 नए टीबी मरीजों की पहचान हुई है. इनमें से 61 हजार 916 की सरकारी और 70 हजार 229 की निजी अस्पतालों में पहचान की गई है. 2025 तक देश से टीबी को जड़ से खत्म करने को लेकर केंद्र सरकार पूरा प्रयासरत है.
बीडाकुलीन एमडीआर टीबी के उपचार में कारगर :
डीआरटीबी सेंटर से चिह्नित ऐसे एमडीआर मरीज़ जिनपर अन्य किसी दवा का असर नहीं हो रहा हो उसे पटना स्थित नोडल डीआरटीबी सेंटर, आईजीआई एमएस में भर्ती किया जाता है. भर्ती के बाद ड्रग सेंसिटिवीटी टेस्ट से यह सुनश्चित किया जाता है कि मरीज़ को बीडाकुलीन दवा दी जाएगी या नहीं. सुनिश्चित होने के बाद मरीज को बीडाकुलीन की 188 टेबलेट्स प्रदान की जाती है. बीडाकुलीन की उपलब्धता सिर्फ़ सरकारी विभाग के पास ही रहती है. किसी भी निजी हॉस्पिटल या फ़ार्मा दुकानों में यह बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं है. यह दवा राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण विभाग द्वारा तय किए मापदण्डों के ही हिसाब से ही दी जाती है.
टीबी की दवा का पूरा कोर्स बचा सकता है एमडीआर टीबी होने से :
टीबी से ग्रसित मरीज़ों द्वारा टीबी की दवा का पूरा कोर्स नहीं करने के कारण एमडीआर टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है. अनियमित टीबी दवा का सेवन करना, बिना चिकित्सीय परामर्श के दवा दुकानों से टीबी की दवा लेना एवं टीबी की दवा खाने से पहले ड्रग सेंसिटिवीटी जाँच नहीं होने से भी एमडीआर टीबी होने का ख़तरा बढ़ जाता है. टीबी का सम्पूर्ण एवं सटीक इलाज सरकारी स्वास्थ्य विभाग के पास उपलब्ध है एवं सीबी नेट जैसे नवीन उपकरणों की सहायता से सरकारी क्षय रोग विभाग, टीबी के खिलाफ़ मजबूती से लड़ने के लिए सक्षम भी है।