वैशाली: नवजातों को जीवन का वरदान दे रहा बिहार का पहला एसएनसीयू

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– 14 वर्षों से बचा रहा नवजातों की जान यह 16 बेड का एसएनसीयू

– 51 तरह के इमरजेंसी दवाओं की है उपलब्धता

वैशाली। हाजीपुर सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू को बिहार का पहला एसएनसीयू (स्पेशल नेटल केयर यूनिट) होने का गौरव प्राप्त है। यहां शून्य से एक महीने तक के नवजातों को जीवनदान दिया जाता है। इसकी सफलता के बाद ही बिहार में अन्य जगहों पर एसएनसीयू की शुरूआत की गयी थी। सदर अस्पताल के अधीक्षक डॉ एसके वर्मा कहते हैं कि यहां ऐसे  नवजातों की भी जान बचायी गयी है जिनका इलाज हाजीपुर के प्राइवेट हॉस्पीटल में नहीं हो सका था। समय की कमी होने पर भी बेहतर चिकित्सकीय देखरेख में बच्चे को इंफ्युजन पंप के द्वारा और ब्लड ट्रांसफ्यूजन के द्वारा जान बचायी गयी। हाल ही में ऐसे भी नवजात आए जिनका बिलुरूबीन 26 -27 तक बढ़ गया था। इस एसएनसीयू के लिए यह भी गर्व की बात है कि यहां राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटेंगल अवार्ड विजेता जीएनएम सुनीता जैसी नर्स कार्य करती हैं। जिनकी कार्यशैली देखने लायक है। यहां हर वह चिकित्सकीय सुविधा मिलती है जो किसी बड़े प्राइवेट हॉस्पीटल में मिलती है।

16 बेड और जीवन रक्षक मशीनों से सुसज्जित है एसएनसीयू-

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डॉ वर्मा कहते हैं कि यह एसएनसीयू 16 बेड का है। यहां शून्य से एक महीने तक के बच्चों का उपचार होता है। इसके हर बेड पर रेडिएंट वार्मर, सक्शन पंप, सी पैप, ऑक्सीजन कंसनट्रेटर, इंफ्यूजन पंप, पल्स ऑक्सीमीटर, फोटोथेरेपी मशीन जैसे जीवन रक्षक मशीन उपलब्ध हैं। इसके अलावा इसके सभी बेडों की कनेक्टीवीटी ऑक्सीजन के केंद्रीयकृत सप्लाई सिस्टम से जुड़ा है। यह 24 घंटे चालू रहती है।  

876 नवजातों का अभी तक हुआ उपचार-

डॉ वर्मा ने बताया कि अभी जितने भी नवजात भर्ती हैं उनमें अधिकतर कम वजनी तथा पीलिया से पीड़ित  नवजात हैं। 16 जून तक कुल 876 नवजात यहां इलाज के लिए भर्ती हो चुके हैं। वहीं 51 तरह के इमरजेंसी दवाओं की मौजूदगी हमेशा यहां बनी रहती है। यहां तीन शिफ्टों में चिकित्सकों और नर्सों की मौजूदगी रहती है।

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