बक्सर : ग्रामीण इलाकों में दस्त से परेशान बच्चों के साथ अन्य लाभुकों को भी दिया जाता है ओआरएस – सीएचओ

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– बार-बार दस्त से ग्रसित होने वाले बच्चों को चिह्नित करते हुए दी जा रही है जिंक सिरप 
– आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से घर-घर पांच से कम उम्र के बच्चों के बीच ओआरएस का वितरण

बक्सर | जिले में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के माध्यम से पांच साल से कम उम्र के बच्चों को ओआरएस के पैकेट दिए जा रहे हैं। ताकि, बच्चों को दस्त के दुष्प्रभाव से बचाया जा सके। इसके लिए वार्ड स्तर से लेकर जिलास्तर तक विभिन्न गतिविधियों का आयोजन भी किया जा रहा है। जिससे लोगों को दस्त के कारण, लक्षण और बचाव की जानकारी दी जा सके। इसी क्रम में सदर प्रखंड स्थित पांडेयपट्टी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में शनिवार को एक संगोष्ठी का भी आयोजन हुआ। जिसमें स्थानीय ग्रामीणों को दस्त के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई। साथ ही, संगोष्ठी में आए बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को ओआरएस का पैकेट भी दिया गया। कार्यक्रम का संचालन सीएचओ श्वेता सिंह ने किया। कार्यक्रम में आशा फैसिलिटेटर अर्चना श्रीवास्तव, आशा कार्यकर्ता शकुंतला देवी, रिंकू देवी, इशरत खातून, प्रमिला देवी, तारामुनी देवी, नीतू देवी, मालती देवी के अलावा अन्य लोग शामिल हुए।

कुशल प्रबंधन के अभाव में डायरिया जानलेवा :
सीएचओ श्वेता सिंह ने ग्रामीणों को बताया, बदलते मौसम में डायरिया से पीड़ित बच्चों की संख्या में बढ़ोत्तरी होने की संभावना अधिक होती है। डायरिया के कारण बच्चों में अत्यधिक निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) होने से समस्याएं बढ़ जाती है। वहीं, कुशल प्रबंधन के अभाव में यह जानलेवा भी हो जाता है। इसलिए डायरिया के लक्षणों की अनदेखी न करें। डायरिया के लक्षणों के प्रति सतर्कता एवं सही समय पर उचित प्रबंधन कर बच्चों को डायरिया जैसे गंभीर रोग से आसानी से सुरक्षित किया जा सकता है। उन्होंने बताया, बच्चों में डायरिया के लक्षणों की पहचान आसानी से की जा सकती है। लगातार दस्त होने से बच्चों में निर्जलीकरण की समस्या बढ़ जाती है। दस्त के कारण पानी के साथ जरूरी एल्क्ट्रोलाइट्स (सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड एवं बाईकार्बोनेट) का तेजी से ह्रास होता है। बच्चों में इसकी कमी को दूर करने के लिए ओआरएस एवं जिंक घोल दिया जाता है। इससे डायरिया के साथ डिहाइड्रेशन से भी बचाव होता है।

दस्त से ग्रसित बच्चों को किया गया चिह्नित :
श्वेता सिंह ने बताया, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के अंतर्गत आने वाले सभी वार्डों में आशा कार्यकर्ताओं ने हमेशा दस्त से ग्रसित रहने वाले बच्चों को चिह्नित किया है। जिनके बीच शनिवार को ओआरएस के साथ-साथ जिंक सिरप का वितरण किया गया है। साथ ही, बच्चों के माता पिता को दस्त से बचाव की सभी जानकारियां भी दी गई है। उन्होंने बताया कि दस्त के दौरान छोटे बच्चों में मां के दूध से ही तरल और पोषक तत्वों की कमी पूरी हो जाती है। वहीं, थोड़े से बड़े बच्चों को बिना मसाले वाला और आसानी से पचने वाला खाना खिलाएं जैसे कि इडली, मूंग दाल खिचड़ी या चावल की खीर आदि।

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डायरिया पेट से जुड़ी एक बीमारी है :
कुछ बच्चे ठीक से साफ-सफाई का ध्यान न देने की वजह से डायरिया के शिकार होते हैं। डायरिया पेट से जुड़ी एक बीमारी है, जो यह संक्रमित खाने या पीने के कारण भी होता है। ऐसे में माता-पिता के लिये यह बहुत ज़रूरी है कि वे घर को हमेशा साफ़ सुथरा रखें। बच्चों को खिलाने से पहले साबुन या सैनिटाइजर की मदद से अच्छे से धुलवाएं। साथ ही, बाहर से घर में आने के बाद भी बच्चों को हाथ धोने को कहें।

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