
– जेएसएस की टीम राज्य सरकार को सौंपेगी अपनी रिपोर्ट, कमियों को किया जाएगा दूर
– राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए मरीजों और लोगों को किया जाएगा जागरूक
बक्सर | राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के तहत केंद्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा गठित ज्वांइट सर्पोटिव सुपरविजन (जेएसएस) मिशन की टीम ने बक्सर जिले में कार्यक्रम की जानकारी ली। इस दौरान टीम के सदस्यों ने सरकारी व निजी स्वास्थ्य संस्थानों का भ्रमण किया और एनटीईपी के कार्यों का अनुश्रवण भी किया। जिसमें जिला यक्ष्मा केंद्र, सीबी-नैट लैब, ट्रू-नैट लैब के अलावा सीएचसी सिमरी और ब्रह्मपुर के अलावा निजी संस्थान में मैथोडिस्ट अस्पताल का जायजा लिया। साथ ही, एमडीआर टीबी व डीएस टीबी के मरीजों के घर जाकर दवाओं व अन्य सेवाओं की फीडबैक भी ली। तीन दिवसीय भ्रमण एवं अनुश्रवण का कार्य पूरा करने के बाद टीम के सदस्यों ने बीते दिन जिलाधिकारी अमन समीर, सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ, एसीएमओ डॉ. अनिल भट्ट व टीबी फोरम के सदस्यों के साथ बैठक कर जिले में एनटीईपी के कार्यों व कमियों को रखा। साथ ही, उन कमियों को दूर करने के लिए राज्यस्तर पर होने वाली बैठक से भी अवगत कराया।
जेएसएस टीम में शामिल अधिकारी :
जेएसएस की टीम में राष्ट्रीय स्तर से एनटीई बेंगलुरु स्थित ईपीआई एंड रिसर्च के डिवीजनल हेड डॉ. उमा शंकर एस, पटना रोएचएफडब्लू के सीनीयर रिजनल डायरेक्टर डॉ. कैलाश कुमार, द यूनियन न्यू दिल्ली की रिसर्च एंड डेटा एनलिस्ट डॉ. दीपिका, एनटीएसयू-सीटीडी नई दिल्ली के डेटा मैनेजर अरूण सिंह राणा, सीटीडी नई दिल्ली के डेटा एनलिस्ट कंसलटेंट शशिकांत व सीएचएआई के मनोज सिंह शामिल थे। वहीं, राज्य स्तरीय टीम में टीबी एसपीओ डॉ. बीके मिश्रा, टीबीडीसी एसएमओ डॉ. रवि शंकर, डब्ल्यूएचओ एनटीईपी कंसलटेंट डॉ. राजीव एनएस, एसटीएसयू बिनिता सिंह व पॉलमी बासू शामिल थी।
लोगों में अभी भी है जागरूकता की कमी :
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह सीडीओ डॉ. अनिल भट्ट ने बताया, जिले में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत किए जा रहे कार्यों को और भी सुदृढ़ किया जाएगा। ताकि, लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं और सेवाएं प्राप्त हो सके। उन्होंने बताया कि टीम के सदस्यों ने क्षेत्र भ्रमण के दौरान पाया कि जिले के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले टीबी मरीजों के बीच जागरूकता की कमी है। इसके अलावा एनटीईपी कार्यक्रम को ठीक से संचालित करने के लिए और भी मानव बल की आवश्यकता है। जिसमें चिकित्सक, एसटीएस व अन्य कर्मी शामिल हैं। जिसे दूर करने के लिए राज्य सरकार से वार्ता की जाएगी। साथ ही, एनटीईपी अधिकारियों व कर्मियों को समय समय पर ट्रेनिंग दिए जाने पर चर्चा की गई। इसके अलावा भी अन्य कमियों को दूर करने के लिए विमर्श किया गया। ताकि, एनटीईपी कार्यक्रम को गति प्रदान की जा सके और जिले को 2025 तक टीबी को पूरी तरह मुक्त किया जा सके।
जेएसएस की टीम एनटीईपी कार्यक्रम को लेकर काफी संतुष्ट :
सीनीयर लैब टेक्नीशियन सुपरवाइजर कुमार गौरव ने बताया, फिलवक्त जिला यक्ष्मा केंद्र में एक चिकित्सक को पदास्थापित किया गया। जिससे इलाज और परामर्श में लोगों को सहूलियत मिलेगी। उन्होंने बताया, जेएसएस की टीम जिले में संचालित एनटीईपी कार्यक्रम को लेकर काफी संतुष्ट रही। मरीजों को मिलने वाली सुविधाएं और नोटिफिकेशन के कार्यों में जिला का प्रदर्शन काफी बेहतर है। हालांकि, अब निजी स्वास्थ्य संस्थानों को निश्चय पोर्टल से टैग करने का काम शुरू किया गया है। ताकि, मरीजों का समय पर इलाज शुरू किया जा सके और उनके खाते में निश्चय पोषण योजना की राशि का भुगतान कराया जा सके।