कैमूर : बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए नियमित टीकाकरण जरूरी

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– बच्चों को बीमारी से दूर रखने के लिए कराएं नियमित टीकाकरण व परेशानियों से रहें दूर
– कई जानलेवा रोगों से मिलती है सुरक्षा

भभुआ | जिले में बदलते मौसम में बच्चों के बीमार होने संभावना काफी बढ़ जाती है। तापमान में भारी अंतर के कारण बच्चे आसानी से मौसमी बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में बच्चों के लिए नियमित टीकाकरण बहुत जरूरी है। यह शरीर में बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता पैदा करता है। साथ ही एंटीबॉडी बनाकर शरीर को सुरक्षित भी रखता है। शिशुओं की मौत की एक बड़ी वजह उनका सही तरीके से टीकाकरण नहीं होना है। डीआईओ डॉ. रविंद्र चौधरी ने टीकाकरण की आवश्यकता पर बल देते हुए बताया, नियमित टीकाकरण विभिन्न बीमारी के संक्रमण के बाद या बीमारी के खिलाफ बच्चों की रक्षा करता है। साथ ही, शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को भी सुदृढ़ करता है। शिशुओं को स्तनपान कराने से भी उनकी रोग प्रतिरक्षण प्रणाली तेज होती है।

टीकाकरण शिशु के लिए बहुत जरूरी है :
डीआईओ ने बताया, नियमित टीकाकरण से बच्चों को चेचक, हेपेटाइटिस जैसी अन्य बीमारियों से बचाया जा सकता है। नियमित टीकाकरण शिशु के लिए बहुत जरूरी है। बच्चों में होने वाली बीमारियों व संक्रमण का असर तेजी से उनके शरीर पर होता और उनके अंगों को प्रभावित करता है। बीसीजी, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, डीटीपी, रोटा वायरस वैक्सीन, इन्फ्लूएंजा व न्यूमोनिया के लिए टीकाकरण किये जाते हैं। मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम इसी उद्देश्य के साथ चलाया गया कि बच्चों का संपूर्ण टीकाकरण किया जा सके।

ये वैक्सीन हैं जरूरी : डीआईओ ने बताया कि बच्चों के लिए ये वैक्सीन लगवाना आवश्यक है :
– बी.सी.जी वैक्सीन: टीबी से फेफड़ों, दिमाग और शरीर के अंग प्रभावित होते हैं। यह रोग पीड़ित व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैलती है। बीसीजी टीका के जरिये बच्चे को टीबी की बीमारी से बचाया जा सकता है। बच्चों के जन्म लेने के तुरंत बाद उन्हें बैसिले कैल्मेट गुरिन (बीसीजी) के टीके लगाये जाते हैं। यह बच्चों के भविष्य में क्षयरोग, टीबी मेनिनजाइटिस आदि रोगों के संक्रमण की संभावना को कम करता है।
– हेपेटाइटिस ए: हेपेटाइटिस ए विषाणु जनित रोग है, जो लीवर को प्रभावित करता है। दूषित भोजन, पानी या संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने की वजह से यह रोग फैलता है। बच्चों में यह रोग ज्यादा होता है। बुखार, उल्टी और जांडिस जैसे रोगों से बच्चा प्रभावित होता है। हेपीटाइटिस ए वैक्सीन का पहला टीका बच्चों को जन्म के 1 साल बाद लगाया जाता और दूसरा टीका पहली डोज के 6 महीने बाद लगाया जाता है।
– हेपेटाइटिस बी: हेपेटाइटिस बी रोग से बच्चों के लिवर में जलन और सूजन हो जाती है। नवजात शिशुओं को जन्म के बाद पहली डोज, 4 हफ्ते बाद दूसरी डोज और 8 हफ्ते के बाद हेपेटाइटिस बी की तीसरी डोज दी जाती है।
– डीटीपी: बच्चों को डिप्थीरिया, टेटनस, काली खांसी जैसी गंभीर बीमारियों की रोकथाम के लिए डीटीपी का टीकाकरण किया जाता है। बच्चों को जन्म के 6 हफ्ते बाद डीटीपी का पहला टीका लगाया जाता है। 4 हफ्ते बाद दूसरा, बाद में 4 हफ्ते के अंतराल पर तीसरा और चौथा टीका 18 महीने और पांचवा टीका 4 साल के बाद लगवाया जाता है।
– रोटा वायरस वैक्सीन: रोटा वायरस तीन माह से लेकर दो साल की उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। इस वायरस से संक्रमित बच्चों को बुखार, पेट में दर्द के साथ उल्टी और पतले दस्त होते हैं।
– टायफॉइड वैक्सीन: टायफाइड दूषित भोजन, पानी और पेय पदार्थ के सेवन से होता है। बच्चों में होने वाली डायरिया बीमारी दूषित भोजन व पानी के कारण ही होता है। नवजात के लिए मां द्वारा नियमित स्तनपान बच्चों को डायरिया से बचाता है। बच्चों को वैक्सीन का पहला टीका जन्म के 9 महीने बाद और दूसरा टीका इसके 15 महीने बाद लगता है।

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