बक्सर : जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए महिलाओं के साथ पुरुषों की भी जागरूकता जरूरी – जिलाधिकारी

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– विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर जिलाधिकारी ने हरी झंडी दिखाकर सारथी रथ किया रवाना
– जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में विभिन्न गतिविधियों का हुआ आयोजन

बक्सर | विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर जिले के सभी प्रखंडों में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन हुआ। इस क्रम में सोमवार से शुरू हुए जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा के प्रचार प्रसार के लिए जिलाधिकारी अमन समीर और सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ ने कलेक्ट्रेट परिसर से हरी झंडी दिखाकर सारथी रथ को रवाना किया। सारथी रथ के माध्यम से शहरी और ग्रामीण इलाकों में नियोजन के स्थायी साधनों के प्रति लोगों को जागरूक किया जाएगा। इस अवसर पर जिलाधिकारी अमन समीर ने कहा कि परिवार नियोजन आज की जरूरत है। लोगों में इसके प्रति जागरूकता तो आई है, लेकिन आज भी जितनी जागरूकता की आवश्यकता है वह नहीं हो पाया है। अभी भी महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में जागरूकता की कमी अधिक दिखाई देती है। जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए महिलाओं के साथ पुरुषों की भी जागरूकता जरूरी है। मौके पर जिला कार्यक्रम प्रबंधक मनीष कुमार, प्रभारी जिला सामुदायिक उत्प्रेरक संतोष कुमार एवं सदर प्रखंड के सामुदायिक उत्प्रेरक प्रिंस कुमार उपस्थित थे।

जन जागरण का काम करेगा सारथी रथ :
सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ ने बताया, सुखी परिवार के लिए परिवार नियोजन काफी महत्वपूर्ण कदम है। सारथी रथ के माध्यम से सही उम्र पर लड़की की शादी, मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए साफ सफाई एवं स्वच्छता का महत्व इत्यादि विषयों पर जन जागरण हेतु प्रचार प्रसार के लिए सारथी रथ रवाना किया गया। यह गांव-गांव में जाकर जन जागरण का काम करेगा। उन्होंने बताया कि 11 से 31 जुलाई तक जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें इच्छुक लाभुकों को चिकित्सीय सुविधा प्रदान की जाएंगी। वहीं, इस दौरान सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में इच्छुक लाभार्थियों को अभियान चलाकर उनकी इच्छा अनुसार गर्भनिरोधक सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

बास्केट ऑफ च्वाइस से योग्य दंपतियों को अवगत कराया :
सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ ने बताया, अभियान को सफल बनाने के लिए 27 जून से 10 जुलाई तक आशा कर्मियों ने महिला पुरुष समानता, स्वस्थ जीवन हेतु साफ-सफाई एवं स्वच्छता का महत्व, सुखी एवं स्वस्थ जीवन के लिए परिवार नियोजन का महत्व, सही उम्र में शादी, पहला बच्चा शादी के 2 वर्ष बाद, दो बच्चों के बीच 3 वर्ष का अंतर इत्यादि विषयों पर लोगों को जागरूक किया। उन्होंने स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध बास्केट ऑफ च्वाइस से योग्य दंपतियों को अवगत कराया। वहीं, अस्थायी सेवाएं भी हाथों-हाथ उपलब्ध कराई गईं। बास्केट ऑफ च्वाइस में माला एन दैनिक गर्भनिरोधक गोलियां, इमरजेंसी गर्भनिरोऐन धक गोलियां, छाया सप्ताहिक गर्भनिरोधक गोलियां, अंतरा 3 महीने के लिए लगाई जाने वाली गर्भनिरोधक सुई, कंडोम, आईयूसीडी, पीपीआईयूसीडी इत्यादि अस्थायी साधन है। साथ ही, महिला एवं पुरुष नसबंदी जैसे परिवार नियोजन की स्थायी विधियां शामिल हैं।

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