
– 15 जुलाई से सभी प्रखंडों में शुरू होगा सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा अभियान
– दस्त से होने की स्थिति में ओआरएस के दो पैकेट व जिंक टैबलेट की 14 दिनों की मिलेगी खुराक
आरा | बदलते मौसम के दौरान बच्चों को दस्त की शिकायत अधिक होती है। लेकिन, इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता है कि दस्त शिशु मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। जिसे नियंत्रित करने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग तत्पर है। इसी क्रम में लोगों को दस्त व उसके नियंत्रण के प्रति जागरूक करने के लिए जिले में 15 से 30 जुलाई तक सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का आयोजन किया जायेगा। इसे लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार ने पत्र के माध्यम से सिविल सर्जन को जरूरी दिशा निर्देश दिया है। जिसके तहत उन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए इसके अंतर्गत की जाने वाली गतिविधियों का सूक्ष्म कार्यान्वयन एवं अनुश्रवण करने को कहा है। साथ ही, सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान अंतर्विभागीय समन्वय द्वारा दस्त की रोकथाम के उपायों, दस्त होने पर ओआरएस एवं जिंक का प्रयोग, दस्त के दौरान उचित पोषण तथा समुचित इलाज के पहलुओं पर क्रियान्वयन किए जाने पर बल दिया है।
डायरिया से होने वाली मृत्यु को टाला जा सकता है :
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. केएन सिन्हा ने बताया, सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का उद्देश्य दस्त के कारण होने वाले शिशु मृत्यु का शून्य स्तर प्राप्त करना है। डायरिया से होने वाले मृत्यु का मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होना है। ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग द्वारा डायरिया से होने वाली मृत्यु को टाला जा सकता है। उन्होंने कहा, दस्त आमतौर पर छोटे उम्र के बच्चों के लिये जानलेवा साबित हो सकता है। बाल्यावस्था में 05 वर्ष तक के 10 फीसदी बच्चों की मौत के लिये दस्त जिम्मेदार होता है। ओआरएस का घोल व जिंक की गोली दस्त का एक मात्र उपचार है। उन्होंने कहा बाल्यावस्था में दस्त के दौरान ओआरएस व जिंक के उपयोग के प्रति लोगों को जागरूक करना, समुदाय स्तर पर ओआरएस व जिंक की उपलब्धता व इसके उपयोग का बढ़ावा देना अभियान का मुख्य उद्देश्य है।
आशा के माध्यम से होगा ओआरएस व जिंक दवाओं का वितरण :
अभियान की सफलता के लिये आशा कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्र में डोर टू डोर घर घर जाकर पांच वर्ष आयु तक के बच्चों को एक एक पॉकेट ओआरएस वितरण करेंगी। जो बच्चा दस्त से ग्रसित होगा, उस जगह दो ओआरएस एवं 14 दिन डोज के लिए जिंक का टेबलेट वितरित किया जाएगा। लक्षण गंभीर पाए जाने पर आशा कार्यकर्ताओं द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर बेहतर इलाज के लिए रेफर किया जाएगा। आशा कार्यकर्ता परिवार के सदस्यों को इसके इस्तेमाल व होने वाले लाभ के प्रति जागरूक करेंगी। लोगों को बताया जाएगा कि दस्त व इसके बाद बच्चों को उम्र के हिसाब से स्तनपान व ऊपरी आहार जारी रखा जाना चाहिये। स्वच्छ पेयजल का उपयोग दस्त से बचाव के लिये जरूरी है। साथ ही, खाना बनाने व बच्चे के संपर्क में आने से पूर्व हाथों की सफाई व स्वच्छता संबंधी अन्य उपायों पर सख्ती बरतनी चाहिये। खुले में शौच से परहेज करना चाहिये।