बक्सर : सरकारी अस्पतालों के साथ हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स पर भी उपलब्ध है फाइलेरिया की दवा

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– मरीजों को नियमित रूप से नि:शुल्क प्रदान की जाती है डीईसी दवा
– मच्छरों के काटने के कारण पैर के अलावा प्रजनन अंगों को भी पहुंच सकता है नुकसान
– मच्छरों से बचाव से ही रोका जा सकता है फाइलेरिया, साफ-सफाई जरूरी

बक्सर | मच्छरों के काटने से कई बीमारियां होती हैं। लेकिन, कुछ बीमारी के परिणाम काफी गंभीर होते हैं। जो किसी मनुष्य को विकलांग बना सकती हैं। उनमें से एक है फाइलेरिया। इस बीमारी की सबसे मूल बात यह है कि इसके लक्षणों की पहचान शुरुआती दिनों में काफी मुश्किल है। जांच करने के बाद ही पता चल सकता है कि लक्षण वाले मरीज को फाइलेरिया है या नहीं। दूसरी ओर, शरीर के अंगों में जब विकृतियां बढ़ने लगती हैं, तब फाइलेरिया की पुष्टि होती है। लेकिन, तब तक मरीज ग्रेड तीन के स्टेज में पहुंच जाता है। इस बीच यदि मरीज ने लापरवाही की, तो फाइलेरिया का स्टेज बढ़ता ही जाता और अंत में ये बीमारी उसे दिव्यांग बना सकती है। इसलिए सबसे जरूरी है, फाइलेरिया के शुरुआती लक्षणों की पहचान हो और समय से इलाज हो। फाइलेरिया से संक्रमित हो जाने पर लंबे समय तक इलाज चलने और दवा की खुराक पूरी करने पर रोगी सामान्य जीवन जी सकता है।

समय पर पहचान नहीं करने पर करना पड़ेगा परेशानियों का सामना :
वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार राजीव कुमार ने बताया, फाइलेरिया से ग्रसित व्यक्ति दवा के पूरा सेवन कर रोग को नियंत्रित रख सकता है। दवाइयों की खुराक पूरी नहीं करने पर, यह रोग मरीज के लिए शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए नुकसानदायक है। जिसके लक्षणों की यदि सही समय पर पहचान नहीं की जा सकी, तो मरीज को हाथीपांव, हाइड्रोसील या अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने बताया, यदि ज्यादा दिनों तक बुखार रहे, पुरुष के जननांग में या महिलाओं के स्तन में दर्द या सूजन रहे और खुजली हो, हाथ-पैर में भी सूजन या दर्द रहे तो यह फाइलेरिया होने के लक्षण हैं। यदि ये लक्षण किसी को महसूस हो रहे हो तो जिसे गंभीरता से लेते हुए लक्षण वाले मरीज तत्काल चिकित्सक से संपर्क कर अपनी जांच कराएं और अपना इलाज शुरू करवाना सुनिश्चित कराएं।

मरीजों का होता है नि:शुल्क इलाज :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया, फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों का इलाज नि:शुल्क होता है। साथ ही, इसकी दवाएं सभी सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क प्रदान की जाती हैं। उन्होंने बताया, अब तो पंचायतों में खुले हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स पर भी मरीजों के लिए फाइलेरिया की डीईसी दवा नि:शुल्क उपलब्ध है। मच्छरों के कारण होने वाली बीमारी से लोगों को बचाने के लिए साल में एक बार जिले में अभियान चला कर लोगों को दवाओं का सेवन कराया जाता है। जिसमें लोगों को उम्र के हिसाब से डीईसी एवं अल्बेंडाजोल दवा की दवा दी जाती है और आशा कार्यकर्ताएं अपने सामने उन्हें खिलाती हैं। लोगों को दी जाने वाली ये गोलियां हमेशा चबा कर खानी होती हैं। जो खाली पेट खाने से नुकसानदायक हो सकता है। गर्भवती महिलाओं, दो साल से कम उम्र के बच्चों और किसी गंभीर रोग होने पर फाइलेरिया की दवा नहीं खिलाई जाती है।

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