
– कमजोर नवजातों के मां को देती है नसीहत
– नवजात के लिए अहम होता है मां का पहला दूध
वैशाली। ऐसे बच्चे का भविष्य बहुत नाजुक होता है, जिनका वजन जन्म के समय कम हो। इससे उनमें ऐसी जटिलताएं आती हैं जिससे उनका भविष्य सुरक्षित नहीं रह पाता। राजापाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की एएनएम प्रमिला ऐसे मुद्दों पर बहुत ही प्रखरता से काम करती हैं। वह नई माताओं के बीच स्तनपान और कंगारू मदर केयर को लेकर बातचीत करती हैं। बच्चों को किस तरह कपड़ों में लिपटें यह सिखाती हैं। स्तनपान के फायदे गिनवाती हैं। कंगारू मदर केयर के स्टेप्स बताती हैं । देखने और सुनने में तो यह शब्द कहीं से भी साधारण ही लगते हैं, पर इनकी उपयोगिता और महत्ता किसी नवजात के लिए उतनी ही मायने रखती है जितनी उस नवजात के लिए सांसें । ऐसे में प्रमिला का रोल छोटा न होकर एक बड़े परिवर्तन में बदल जाता है जो न जाने कितने ही नवजातों को उनका बेहतर स्वास्थ्य और कल देता है।
चार दिन और चार कमजोर नवजातों की बचायी जान-
प्रमिला के अनुसार हफ्ते में उनकी एक दिन लेबर रूम में ड्यूटी होती है। जून महीने में आशा देवी नाम की आशा ने एक संस्थागत प्रसव कराया था जिसके बच्चे का वजन 1 किलो 650 ग्राम था। इसी तरह और तीन बच्चे का वजन कमजोर नवजात की श्रेणी में आता था। जिसमें प्रमिला ने बच्चे की मां और अभिभावक को बच्चे को कपड़े में लपेटने का तरीका और कंगारू मदर केयर की तकनीक सिखाया । प्रमिला कहती हैं कि कंगारू मदर केयर एक तकनीक है जो बच्चे को हर कोई दे सकता है। इसमें बच्चे के तापमान को सीने से चिपकाकर नियत रखा जाता है। इसे स्किन टू स्किन मेथड भी कहते हैं। स्वास्थ्य केंद्र में कंगारू मदर केयर का अलग से वार्ड बना हुआ है।
आधे घंटे में ही पिलाती हैं नवजात को मां का पहला दूध –
प्रमिला कहती हैं कि राजापाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव कराने वाली कोई भी ऐसी महिला नहीं होगी जिसने अपने बच्चे को जन्म के एक घंटे के अंदर दूध न पिलाया हो। मैं इस बात का पूरा ध्यान रखती हूं कि नवजात को उसके मां का गाढ़ा पीला दूध मिले जिससे उसे बेहतर इम्युनिटी मिले।