बक्सर : जिले के दिल की बीमारी से ग्रसित बच्चों की धड़कनों को ताकत दे रही है बाल हृदय योजना

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  • मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के माध्यम से जिले के आधा दर्जन से अधिक बच्चों का हुआ है सफल ऑपरेशन
  • योजना के तहत इलाज के साथ-साथ आवागमन का भी खर्च उठाती है सरकार

बक्सर | जिले में दिल की बीमारी से ग्रसित बच्चों के माता पिता को अब चिंता करने की जरूरत नहीं है। उनके बच्चे के दिल की बीमारियों का इलाज अब राज्य सरकार के द्वारा नि:शुल्क कराया जा रहा है। जिसके लिए राज्य सरकार बाल हृदय योजना का संचालन कर रही है। राज्य सरकार के कार्यक्रम (2020-2025) के अन्तर्गत आत्मनिर्भर बिहार के सात निश्चय-2 में शामिल ‘सबके लिए अतिरिक्त स्वास्थ्य सुविधा’ अन्तर्गत हृदय में छेद के साथ जन्में बच्चों के निःशुल्क उपचार की व्यवस्था हेतु स्वीकृत नई योजना ‘बाल हृदय योजना’ कार्यक्रम के तहत यह सुविधा प्रदान की जा रही है। जिसके माध्यम से जिले में अब तक आधा दर्जन से अधिक बच्चों के दिल की धड़कनों को ताकत मिली है।

बच्चों को इलाज के लिए भेजा जाता है अहमदाबाद :
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक डॉ. विकास कुमार ने बताया, योजना के तहत दिल में बीमारी वाले बच्चों को गुजरात के अहमदाबाद के सत्य साईं अस्पताल में भेजा जाता है। जिससे सरकार ने एग्रीमेंट किया है। जिले से बच्चों को इलाज के लिए वहां भेजा जाता है और वहां मुफ्त में इलाज करवाया जाता है। इस योजना के कार्यावयन की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग को दी गई है। जिसमें आरबीएसके की टीम पूरी तरह से सहयोग में लगी हुई है। उन्होंने कहा, इस योजना से गरीब व मध्यम परिवार को काफी सबल मिला है। दिल की बीमारी से ग्रसित बच्चों के माता-पिता का मानना है कि उनकी आर्थिक स्थिति उन्हें अपने बच्चे के इलाज के लिए दूसरे राज्य में जाने की अनुमति नहीं देती है। ऐसे में, बिहार सरकार की यह योजना उनके लिए वरदान साबित हुई है।

छह वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए विशेष प्रावधान :
राज्य सरकार 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चे के साथ मां के अतिरिक्त एक और परिजन के खर्च भी उठाती है। राज्य के बाहर के चिह्नित चैरिटेबल ट्रस्ट अस्पताल/ निजी अस्पताल में चिकित्सा के लिए आने जाने के लिए परिवहन भाड़े के रूप में बाल हृदय रोगी के लिये 5,000 रुपये है। वहीं, अटेंडेंट के लिए अधिकतम धन राशि भी 5,000 हजार रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दी गई है। उनके साथ एक समन्वयक भी रहते हैं, जो इलाज के बाद बच्चों के साथ ही वापस आते हैं।

1000 बच्चों में 9 बच्चे जन्मजात हृदय रोगी:
बच्चों में होने वाले जन्मजात रोगों में हृदय में छेद होना एक गंभीर समस्या है। एक अध्ययन के अनुसार जन्म लेने वाले 1000 बच्चों में से 9 बच्चे जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित होते हैं, जिनमें से लगभग 25 प्रतिशत नवजात बच्चों को बीमारी के पहले साल में ही शल्य क्रिया की आवश्यकता रहती है।

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