
– छह महीने की थी तब पता चला दिल में है छेद
– निःशुल्क उपचार से खुश है सैना सबनम का परिवार
वैशाली। सरमन गांव और महुआ प्रखंड की सैना सबनम पिछले सात वर्षों से अपने दिल में छेद लिए घूम रही थी। उसके पिता कमर को छह महीने में ही पता चल गया था कि उसकी बेटी के दिल में छेद है। इसके बावजूद वह कुछ कर पाने में असमर्थ था। हर महीने सैना की खराब तबियत उसके पिता कमर आलम को अंदर तक निचोड़ चुकी थी। उसकी दुकान से घर ही मुश्किल से चल पाता था। कमर के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह अपनी बेटी का इलाज कहीं अच्छी जगह करा पाते। तभी 2021 में इन्हें किसी से राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के बारे में पता चला। जानकारी हुई कि इसमें इलाज में एक भी पैसा नहीं लगता है। इसके तुरंत बाद ही नवंबर 2021 में स्क्रीनिंग में सैना के दिल में छेद की पुष्टि हुई और 14 मार्च 2022 को उसे मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के 19 वें बैच के साथ अहमदाबाद भेज दिया गया। जहां सफल ऑपरेशन के बाद सैना 31 मार्च 2022 को अपने घर लौटी और अब आम बच्चों की तरह अपने सपने की तरफ कदम बढ़ा रही है।
निजी अस्पताल मांगते थे लाखों रुपए-
कमल आलम कहते हैं मैं सैना को लेकर कहां कहां नहीं गया। एम्स, पीएमसीएच सभी जगह गया। काफी किफायत के बाद भी उसका इलाज मेरे बस का नहीं था। चेन्नई और बाहर के राज्यों में तो और भी पैसों की मांग की गयी। मेरे पास न वैसी जमीन है न ही कोई जमापूंजी जिससे मैं सैना का इलाज करा पाता।

मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना बना वरदान-
कमर आलम कहते हैं किसी ने मुझे आरबीएसके के माध्यम से मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के बारे में बताया। नवंबर में आईजीआईसी में बेटी की स्क्रीनिंग हुई। इस सारे कार्यों में आरबीएसके के डॉ अशोक ने मेरी काफी सहायता की। हमारी बातों को वह काफी धैर्य से सुनते थे। मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत न ही यात्रा के पैसे लगे और न ही उपचार के। घर से एयरपोर्ट तक एम्बुलेंस में ले जाया गया और फिर वैसे ही घर तक आरबीएसके वालों ने छोड़ा भी। इलाज के दौरान भी अस्पताल के कर्मचारियों ने काफी अच्छा बर्ताव किया। मालूम ही नहीं चला कि मैं अपने घर और राज्य से कहीं बाहर आया हूं। वहां मेरे साथ और जिलों के भी बच्चे थे। मुख्यमंत्री के बाल हृदय योजना ने मेरी सैना की भविष्य में सितारे लगा दिए स्वस्थ्य होकर उसका पूरा ध्यान पढ़ने में है।