आरा : हड्डियों में लगातार रहे दर्द तो कराएँ टीबी की जांच – डा. सुरेश चंद्र सिन्हा

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आरा : टीबी एक संक्रामक रोग है। यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस जीवाणु के कारण होता है। दुनिया भर में होने वाले मौतों के कारणों में टीबी भी प्रमुख है। टीबी मुख्य रूप से श्वसन तंत्र या फेफड़ों और पाचन तंत्र को प्रभावित करता है। लेकिन कुछ मामलों में यह शरीर के अन्य अंगों में हो सकता है। यह नाखूनों और बालों के अलावा खून के माध्यम से शरीर के सभी अंगों तक फैल सकता है। टीबी हड्डियों में भी हो सकता है, तब इसे बोन टीबी या हड्डियों में टीबी कहा जाता है। बोन टीबी को मस्कुलोस्केलेटल टीबी भी कहा जाता है।

हड्डियों में लगातार रहे दर्द तो

जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि टीबी दो तरह की होती है। एक पल्मोनरी टीबी और दूसरा एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी। जब फेफड़ों के अलावा शरीर के दूसरे अंगों में टीबी का प्रसार होता है, तो इसे एक्स्ट्रापल्मोनरी ट्यूबरकुलोसिस या ईपीटीबी कहा जाता है। ईपीटीबी का एक रूप हड्डी और जोड़ टीबी भी है। बोन टीबी रीढ़ की हड्डी और जोड़ों को प्रभावित करता है। बोन टीबी तब होता है, जब टीबी का बैक्टीरिया फेफड़ों से हड्डियों या जोड़ों में फैल जाता है। यह आमतौर पर समृद्ध संवहनी आपूर्ति के कारण हड्डियों के बीच में शुरू होता है।

यह शरीर के किसी भी हड्डी को संभावित रूप से प्रभावित कर सकता है। लेकिन रीढ़ की हड्डी, पीठ इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। बोन टीबी हाथों के जोड़ों, कोहनियों और कलाई को भी प्रभावित करता है। टीबी का बैक्टीरिया खून के माध्यम से अन्य अंगों तक फैलता है। डॉ. सिन्हा ने बताया कि हड्डियों में लगातार रह रहे दर्द को नजरंदाज नहीं करें और चिकित्सीय सलाह लें, यह बोन टीबी भी हो सकता है|

लक्षणों की पहचान जरुरी

डॉ. सिन्हा ने बताया हड्डी की टीबी के लक्षण शुरुआत में नजर नहीं आते हैं। शुरुआत में इसमें दर्द नहीं होता है। इसके लक्षण तब नजर आते हैं, जब बीमारी शुरू हो जाती है। जब व्यक्ति बीमारी से पीड़ित हो जाता है, तो उसमें इसके लक्षण दिखाई देते हैं। अगर व्यक्ति के शरीर में जोड़ों का दर्द, लगातार वजन में कमी, थकान, बुखार और मष्तिष्क एवं तंत्रिका संबंधी समस्या रहती हो तो उन्हें टीबी की जांच की सलाह दी जाती है।

बोन टीबी होता है संक्रामक:

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जिला यक्ष्मा पदाधिकारी ने बताया कि बोन टीबी एक संक्रामक रोग है। यह तब होता है, जब व्यक्ति किसी माइकोबैक्टीरियम क्षय रोग नामक बैक्टीरिया वाले पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आता है। पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने से बैक्टीरिया उस व्यक्ति में प्रवेश कर सकता है। ऐसे मे इससे पीड़ित व्यक्ति से जरूरी दूरी बनाकर रखनी चाहिए। बोन टीबी तब होता है, जब यह फेफड़ों के माध्यम से हड्डियों या जोड़ों में फैलता है। किसी क्षय रोग से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी बोन टीबी हो सकता है।

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