संतुलित उर्वरक एवं कृषि वानिकी विषय पर किसानों को किया गया प्रशिक्षित

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डुमरांव. आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय डुमरांव द्वारा नवानगर प्रखंड के ग्राम टीक पोखर में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन डा. आनंद कुमार जैन के नेतृत्व में किया गया. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में संतुलित उर्वरक एवं कृषि वानिकी विषय पर किसानों को प्रशिक्षित किया गया. डा. जैन ने कहां आज दिनोंदिन कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल कम हो रहा हैै. बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए कम क्षेत्रफल में ज्यादा से ज्यादा उत्पादन लेकर ही हम अपनी बढ़ती हुई जनसंख्या का पेट भर सकते हैं. साथ ही साथ वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए वृक्षों का होना भी जरूरी है. लेकिन दिनों दिन वनों का क्षेत्रफल कम होता जा रहा है. इसके लिए आवश्यक है खेती में बदलाव लाया जाए और कृषि वानिकी पर जोर दिया जाए. यह एक ऐसी तकनीक है, जिसमें फसलों के साथ वृक्षों को उगा सकते हैंं. वृक्षों का उपयोग पर्यावरण स्वच्छ बनाने में बहुत बड़ा योगदान होता हैै. कृषि वानिकी से ईंधन, चारा, इमारती लकड़ी के साथ-साथ फसलों का उत्पादन ले सकते हैंं. कृषि वानिकी से सूखा पड़ने पर भी वृक्षों के द्वारा कुछ ना कुछ अतरिक्त आमदनी प्राप्त हो जाती है. कृषि वानिकी से कृषि एवं पशुपालन आधारित कुटीर एवं मध्यम उद्योग को बढ़ावा मिलता है. ग्रामीण जनता की आय में, उनके रहन-सहन में तथा खान-पान में सुधार होता है. उद्यान विभाग के वैज्ञानिक डा. प्रणव पांडे ने कहां बहुउद्देशीय फल वृक्षों से विपरीत परिस्थितियों में भी फलों से कुछ ना कुछ लाभ किसानों को हो जाता है, तथा बेकार पड़ी बंजर भूमि तथा अनुपयोगी भूमि पर बहुउद्देशीय वृक्ष लगाकर इन्हें उपयोग में लाया जा सकता है. संतुलित उर्वरकों की चर्चा करते हुए डा. अखिलेश कुमार सिंह ने कहां की किसान भाइयों को सतत रूप से भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग करना जरूरी है. आज देख रहे हैं कि जिस क्षेत्र में उर्वरकों का अंधाधुन उपयोग खेती में बिना मृदा परीक्षण के हुआ. वहां दिनों दिन उत्पादकता क्षमता फसलों की घट रही है. इस कारण किसानों को मृदा परीक्षण के आधार पर आगामी खरीफ फसल में उर्वरकों का प्रयोग करना जरूरी है. साथ ही साथ रासायनिक खादों के साथ-साथ जैविक आधारित उर्वरकों का प्रयोग हमारे कृषक करें. जिससे खेतों की उर्वरा शक्ति कायम रहे तथा आने वाली पीढ़ी अच्छा उत्पादन ले सके. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में टिक पोखर ग्राम के अजय पांडेे, हृदयानंद पांडे, महेंद्र तिवारी, विश्वनाथ यादव, सत्येंद्र पांडे, राजेपाध्याय, डा. भिखारी साह, राम नारायण यादव एवं अन्य 40 किसानों ने भाग लिया.

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