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संस्कृत शिक्षण में नवाचार : शिक्षिका रमीना कुमारी ने ‘दीपकंम्’ पाठ के माध्यम से कराया उच्चारण स्थानों का अभ्यास

राजकीय मध्य विद्यालय घेउरा, औरंगाबाद में संवाद आधारित शिक्षण पद्धति से बच्चों में संस्कृत के प्रति रुचि

औरंगाबाद। राजकीय मध्य विद्यालय, घेउरा की संस्कृत शिक्षिका रमीना कुमारी ने कक्षा छह के विद्यार्थियों को संस्कृत विषय के अंतर्गत ‘दीपकंम्’ पाठ पढ़ाते हुए एक नवीन एवं संवादात्मक शिक्षण दृष्टिकोण अपनाया। इस पाठ के माध्यम से उन्होंने छात्रों को “वर्णानाम् षट् उच्चारण स्थानानि” अर्थात वर्णों के छह उच्चारण स्थानों की गहन जानकारी दी।

कक्षा में उन्होंने बच्चों के साथ मिलकर ध्वनि-विज्ञान आधारित गतिविधियों को करवाया। इसके तहत बच्चों को बताया गया कि संस्कृत वर्णमाला के प्रत्येक वर्ण का उच्चारण मानव शरीर के किस भाग से होता है। इन छह स्थानों में —
कण्ठ (गला), तालु (तालु), मूर्धा (तालु के पीछे की ओर), दन्त (दांत), ओष्ठ (होठ) और नासिका (नाक) शामिल हैं।

शिक्षिका ने इस जटिल विषय को सरल और रोचक बनाने के लिए चित्रों, मॉडल्स, हाव-भाव एवं संवादात्मक अभ्यासों का सहारा लिया। बच्चों को उदाहरण देकर यह भी बताया गया कि ‘क’ वर्ण का उच्चारण कंठ से, ‘च’ का तालु से और ‘ट’ का मूर्धा से होता है। उन्होंने छात्रों से इन ध्वनियों का समूह में अभ्यास भी करवाया, जिससे बच्चों की ध्वनि पहचान क्षमता और उच्चारण शुद्धता में सुधार देखा गया।

बच्चों में इस गतिविधि को लेकर विशेष उत्साह देखा गया। उन्होंने बड़े मनोयोग से सभी उच्चारण स्थानों को पहचाना और अपने अनुभव भी साझा किए। इससे बच्चों की संस्कृत भाषा में रुचि, आत्मविश्वास और अभिव्यक्ति क्षमता में वृद्धि हुई।

शिक्षिका रमीना कुमारी का यह प्रयास राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की उस भावना के अनुरूप है, जिसमें मातृभाषा एवं भारतीय भाषाओं को व्यवहारिक और संवादात्मक पद्धति से सिखाने पर बल दिया गया है। विद्यालय परिवार ने उनके इस नवाचार की सराहना की है और अन्य शिक्षकों के लिए इसे प्रेरणा स्रोत बताया है।

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