बक्सर : प्रभारी पदाधिकारी आपदा प्रबंधन शाखा बक्सर से प्राप्त सूचनानुसार दिसम्बर माह के अंतिम सप्ताह से जनवरी माह के तीसरे सप्ताह तक शीत लहर का प्रकोप रहता है। यदि तापमान सामान्य तापक्रम से 07 डिग्री से कम हो जाय, तो इसे शीत लहर की स्थिति मानी जाती है। शीत लहर से मानव एवं पशुओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बिहार सरकार द्वारा दिये गये विभागीय निर्देश के आलोक में क्या करें, क्या न करें शीत लहर से निम्नवत हैः-
शीत लहर या ठंड लगने पर व्यक्ति में निम्न लक्षण उत्पन्न होते हैः- शरीर का ठंडा होना एवं अंगों का सुन्न पड़ना, अत्यधिक कपकपी या ठिठुरन, बार-बार जी मिचलाना या उल्टी होना एवं अर्द्धबेहोशी की स्थिति अथवा बेहोश होना।
शीत लहर या ठंड से बचाव के उपायः- अनावश्यक घर से बाहर न जाएँ और यथासंभव घर के अंदर सुरक्षित रहे (विशेषकर वृद्ध एवं बच्चे), यदि घर से बाहर जाना आवश्यक हो तो समुचित ऊनी एवं गर्म कपड़े पहन कर ही निकलें। बाहर निकलते समय अपने सिर, चेहरे, हाथ एवं पैर को भी उपयुक्त गर्म कपड़े से ढक लें, समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविजन के माध्यम से मौसम की जानकारी लेते रहें, शरीर में उष्मा के प्रवाह को बनाये रखने के लिए पौष्टिक आहार एवं गर्म पेय पदार्थों का सेवन करें, कमरों में जलती हुई लालटेन, दीया एवं कोयले की अंगीठी का प्रयोग करते समय घुएँ के निकास का उचित प्रबंध करें। प्रयोग के बाद इन्हें अच्छी तरह से बुझा दें,
हीटर, ब्लोअर आदि का प्रयोग करने के बाद स्विच ऑफ करना न भूलें अन्यथा यह जानलेवा हो सकता है, राज्य सरकार द्वारा शीत लहर में सार्वजनिक स्थलों पर की गई अलाव की व्यवस्था का लाभ उठाकर शीत लहर से बचा जा सकता है, राज्य सरकार द्वारा शहरी क्षेत्रों में बेघरों के लिए रैन-बसेरों का प्रबंधन किया जाता है जहाँ कंबल/बिस्तर आदि उपलब्ध रहते हैं इन सुविधाओं का उपयोग करें, उच्च रक्तचाप एवं मधुमेह के मरीज तथा हृदय रोगी चिकित्सक की सलाह जरूर लेते रहें तथा सामान्यतया धूप होने पर ही घर से बाहर निकलें, विशेष परिस्थिति में नजदीकी सरकारी अस्पताल से अविलम्ब चिकित्सकीय परामर्श लेंगे एवं पशुओं का बथान गर्म रखने की समुचित व्यवस्था करें, पशुओं को ठंड लगने पर पशु अस्पताल/पशु चिकित्सक की सलाह लें।