शिक्षिका सुमन सौरभ को मिला सरदार पटेल राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान, शिक्षा व पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान

पटना/समस्तीपुर। समस्तीपुर जिले के खम्हार स्थित जगतारिणी उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की शिक्षिका सुमन सौरभ को शिक्षा, योग, पर्यावरण संरक्षण, पक्षी संरक्षण और सामाजिक शैक्षिक जागरूकता के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सरदार पटेल राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें गुजरात के प्रसिद्ध उमिया धाम संस्थान, ऊंझा में आयोजित एक गरिमामयी समारोह में प्रदान किया गया।
यह राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान समारोह गुजरात के मेहसाणा जिले में भव्य स्तर पर आयोजित किया गया था, जिसमें देशभर के 10 राज्यों से चयनित 111 नवाचारी शिक्षकों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सुमन सौरभ को शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और समाजिक सुधारों के लिए विशेष रूप से सराहा गया।
सम्मान समारोह के मुख्य अतिथियों में कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के व्यक्तित्व शामिल थे। पद्मश्री गेनाजी भाई पटेल, यूनिसेफ के शिक्षा सलाहकार राजेंद्र जानी, गुजरात के शिक्षा अधिकारी भरतभाई चौधरी, समाजसेवी और पद्मश्री नॉमिनेटेड कल्याणसिंह पंवार, सैकड़ों ग्रामीण पुस्तकालयों के संचालक चंदूभाई मोदी, डॉ. जय बीडीएस एसोसिएशन, राजेंद्र सिंह तथा शिक्षा सागर फाउंडेशन के संस्थापक और नेशनल मोटिवेटर शैलेश भाई प्रजापति ने संयुक्त रूप से वर्ष 2025 का यह सम्मान सुमन सौरभ को प्रदान किया।
इस अवसर पर आयोजित संवाद सत्र में देशभर से आए शिक्षकों ने शिक्षा, पर्यावरण एवं सामाजिक चेतना के क्षेत्र में अपने विचार साझा किए। शिक्षिका सुमन सौरभ के कार्यों की सराहना करते हुए वक्ताओं ने कहा कि उनका समर्पण भाव वास्तव में अनुकरणीय है। वे न केवल विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करती हैं, बल्कि समाज में पर्यावरण संरक्षण और योग को लेकर जागरूकता फैलाने का भी कार्य करती हैं।
कार्यक्रम में उपस्थित अन्य शिक्षकों और अतिथियों ने भी सुमन सौरभ की उपलब्धियों को प्रेरणास्रोत बताया और उनके प्रयासों को राष्ट्र निर्माण की दिशा में अहम बताया।
इस सम्मान से समस्तीपुर जिले का नाम राष्ट्रीय पटल पर रोशन हुआ है। सुमन सौरभ की यह उपलब्धि न केवल उनके विद्यालय और क्षेत्र के लिए गौरव का विषय है, बल्कि उन सभी शिक्षकों के लिए भी प्रेरणा है, जो समर्पण भाव से शिक्षा और समाजसेवा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।
यह सम्मान यह साबित करता है कि शिक्षकों की भूमिका सिर्फ शिक्षण तक सीमित नहीं होती, बल्कि वे समाज सुधार, पर्यावरण संरक्षण और नैतिक मूल्यों के संवाहक भी होते हैं।