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शिक्षिका डाॅ अर्चना सिंह की पहल, कंपोजिट विद्यालय देवारा तुर्कचारा महाराजगंज में जल संरक्षण की मिसाल

शिक्षिका डॉ. अर्चना सिंह के नेतृत्व में छात्रों ने नल से पौधों तक बनाई मिट्टी की नालियां

महाराजगंज। जल संरक्षण को लेकर एक प्रेरणादायक पहल कंपोजिट विद्यालय देवारा तुर्कचारा, महाराजगंज में देखने को मिली, जहाँ विद्यालय की शिक्षिका डॉ. अर्चना सिंह के मार्गदर्शन में छात्रों ने जल बचाने की दिशा में एक प्रभावशाली गतिविधि को अंजाम दिया। इस प्रयास के अंतर्गत विद्यालय परिसर में बहने वाले अतिरिक्त पानी को पौधों तक पहुँचाने के लिए बच्चों ने मिट्टी की नालियां तैयार कीं।

जल की महत्ता पर शिक्षिका ने किया बच्चों को जागरूक

कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. अर्चना सिंह ने बच्चों को जल के महत्व और वर्तमान समय में जल संकट की गंभीरता के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार जल की कमी भविष्य में जीवन के लिए खतरा बन सकती है। उन्होंने यह समझाया कि अगर हम आज जल की एक-एक बूंद को बचाने का संकल्प लें, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है।

प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की व्यावहारिक शिक्षा

डॉ. सिंह ने जब देखा कि विद्यालय में पीने के पानी के नल से अक्सर अतिरिक्त पानी बहकर नष्ट हो जाता है, तो उन्होंने इस पानी का सदुपयोग करने की योजना बनाई। इसके तहत छात्रों के सहयोग से मिट्टी की नालियों का निर्माण किया गया, जो नल से निकलते अतिरिक्त पानी को पौधों तक पहुँचाती हैं। इससे पानी बर्बाद होने से बचा और पौधों को भी नियमित सिंचाई मिलनी शुरू हो गई।

छात्रों में दिखा अद्भुत उत्साह

इस गतिविधि में बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। उन्होंने खुद अपने हाथों से मिट्टी खोदी, नालियों का रास्ता बनाया और यह देखा कि पानी बहकर कैसे सीधे पौधों की जड़ों तक पहुँचता है। बच्चों ने यह अनुभव साझा किया कि इस तरह की गतिविधियों से उन्हें न केवल सीखने को मिलता है, बल्कि प्रकृति से जुड़ने का भी अवसर मिलता है।

विद्यालय में बनी जल संरक्षण की सकारात्मक सोच

विद्यालय में इस पहल के बाद एक सकारात्मक माहौल बना है। बच्चे अब न केवल स्कूल में बल्कि अपने घरों में भी जल बचाने के उपायों पर ध्यान देने लगे हैं। कुछ बच्चों ने बताया कि वे अब अपने घर में भी नलों के नीचे बाल्टी रखते हैं ताकि गिरने वाला पानी पौधों में उपयोग किया जा सके।

शिक्षिका और विद्यालय प्रशासन की सराहना

विद्यालय के प्रधानाध्यापक सहित सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं और अभिभावकों ने डॉ. अर्चना सिंह की इस पहल की भूरी-भूरी प्रशंसा की। उनका मानना है कि इस तरह की गतिविधियाँ न केवल बच्चों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाती हैं, बल्कि व्यावहारिक शिक्षा के माध्यम से उनमें नेतृत्व और जिम्मेदारी की भावना भी विकसित करती हैं।

कंपोजिट विद्यालय देवारा तुर्कचारा की यह पहल एक अनुकरणीय उदाहरण बन गई है, जो बताती है कि छोटे स्तर पर शुरू की गई गतिविधियाँ भी बड़े सामाजिक परिवर्तन की नींव रख सकती हैं। यदि सभी विद्यालय इस तरह की शिक्षा को अपनाएं, तो जल संरक्षण को लेकर समाज में स्थायी जागरूकता उत्पन्न की जा सकती है।

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