बिहारसीतामढ़ी

शिक्षिका अंजू कुमारी को “दुर्गा शक्ति साहित्य सम्मान” से नवाजा गया


बालिकाओं के शिक्षा उत्थान और साहित्यिक योगदान के लिए मिला सम्मान

सीतामढ़ी, रून्नीसैदपुर। मध्य विद्यालय गंगवारा, रून्नीसैदपुर की समर्पित शिक्षिका अंजू कुमारी को उनके प्रेरणादायी कार्यों और साहित्यिक योगदान के लिए “दुर्गा शक्ति साहित्य सम्मान” से अलंकृत किया गया है। यह सम्मान उन्हें “जागो बिटिया जागो” अभियान के तहत महिलाओं और बालिकाओं के सशक्तिकरण तथा साहित्य में उनके अमूल्य योगदान को लेकर प्रदान किया गया। यह उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन के लिए गर्व की बात है, बल्कि पूरे शिक्षण जगत और जिले के लिए गौरव का विषय है।

“दुर्गा शक्ति साहित्य सम्मान” देशभर की उन महिलाओं को दिया जाता है, जो समाज में महिला सशक्तिकरण, शिक्षा जागरूकता और साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। अंजू कुमारी का चयन इस सम्मान के लिए उनके लेखन कार्य, समाज सुधारात्मक गतिविधियों और ग्रामीण बालिकाओं की शिक्षा को लेकर किए गए उल्लेखनीय प्रयासों को देखते हुए किया गया है।

अंजू कुमारी न केवल एक शिक्षिका हैं, बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता और साहित्यिक रचनाकार के रूप में भी जानी जाती हैं। उन्होंने बीते कुछ वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में जो कार्य किए हैं, वे अत्यंत प्रेरणादायी हैं। वे प्रतिदिन विद्यालय के बाद अपने निजी समय में ग्रामीण परिवेश की दर्जनों बालिकाओं को नि:शुल्क ट्यूशन देती हैं, ताकि वे स्कूल की पढ़ाई को और बेहतर ढंग से समझ सकें और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकें। उनका यह प्रयास बालिकाओं और उनके परिवारों में शिक्षा के प्रति सकारात्मक नजरिया विकसित कर रहा है।

इसके साथ ही अंजू कुमारी बेटियों को उच्च शिक्षा हेतु निरंतर प्रेरित करती हैं। उनके अनुसार, “बेटियां समाज की नींव होती हैं। यदि वे शिक्षित होंगी, तो पूरा समाज शिक्षित और सशक्त होगा।” यही सोच उन्हें ‘जागो बिटिया जागो’ जैसे अभियान से जोड़ती है। उन्होंने कई बार अपनी लेखनी के माध्यम से बालिकाओं के अधिकार, उनकी शिक्षा, बाल विवाह की समस्या, लैंगिक भेदभाव और महिला सुरक्षा जैसे विषयों पर प्रभावशाली रचनाएं प्रस्तुत की हैं। उनकी कविताएं, लेख और लघुकथाएं विभिन्न साहित्यिक मंचों व पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं।

सम्मान समारोह में विभिन्न जिलों और राज्यों से आए साहित्यकारों, शिक्षकों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। आयोजकों ने अंजू कुमारी के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे शिक्षकों की वजह से समाज में बदलाव की बयार बह रही है। उनकी प्रेरणा से न सिर्फ बालिकाएं आगे बढ़ रही हैं, बल्कि अभिभावकों की सोच में भी सकारात्मक परिवर्तन आ रहा है।

समारोह में मौजूद अतिथियों ने अंजू कुमारी को शॉल, प्रतीक चिन्ह, प्रमाण-पत्र और पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया। साथ ही उनकी साहित्यिक रचनाओं को मंच पर पढ़कर भी सुनाया गया, जिसे उपस्थित जनसमूह ने खूब सराहा।

अंजू कुमारी ने सम्मान मिलने के बाद कहा, “यह सम्मान मेरे लिए नहीं, बल्कि उन सभी बेटियों के लिए है, जो आज भी समाज में संघर्ष कर रही हैं। मेरी कोशिश रहेगी कि मैं उन्हें पढ़ाकर और मार्गदर्शन देकर आत्मनिर्भर बना सकूं।”

स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों, शिक्षकों और विद्यार्थियों ने भी अंजू कुमारी को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी। विद्यालय परिवार ने कहा कि यह सम्मान विद्यालय के लिए गौरव की बात है और इससे अन्य शिक्षकों को भी समाजहित में कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी।

इस सम्मान से एक बार फिर यह सिद्ध हुआ है कि समर्पण, संवेदना और सकारात्मक सोच के साथ यदि कोई शिक्षक अपने कार्यक्षेत्र से आगे बढ़कर समाज को दिशा देने का कार्य करे, तो वह परिवर्तन का वाहक बन सकता है। अंजू कुमारी की यह यात्रा निश्चित रूप से अनेक शिक्षकों, विशेषकर महिला शिक्षिकाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।

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