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विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पर शना आलम ने छात्राओं को दी मासिक धर्म और स्वच्छता की जानकारी

तुरकौलीया (पूर्वी चंपारण)। विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पर प्राथमिक विद्यालयों और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसी क्रम में उच्च माध्यमिक विद्यालय मझरिया 02 की सहायक शिक्षिका शना आलम ने छात्राओं को मासिक धर्म और उससे जुड़ी स्वच्छता के महत्व पर जागरूक किया। उन्होंने बालिकाओं को मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने, आत्मविश्वास बढ़ाने और सुरक्षित स्वच्छता उपाय अपनाने की सीख दी।

शना आलम ने अपने संबोधन में कहा कि “मासिक धर्म एक स्वाभाविक जैविक प्रक्रिया है, लेकिन समाज में इसे लेकर अब भी कई तरह की गलत धारणाएँ और वर्जनाएँ प्रचलित हैं। यही कारण है कि बहुत-सी लड़कियाँ शर्म, डर और जानकारी की कमी के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करती हैं।” उन्होंने छात्राओं को मासिक धर्म के दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने, साफ सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग करने और नियमित रूप से इन्हें बदलने के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाने का उद्देश्य है इन वर्जनाओं को तोड़ना, समाज में जागरूकता लाना और लड़कियों एवं महिलाओं को उनके स्वास्थ्य के प्रति सजग बनाना। खराब मासिक धर्म स्वास्थ्य न केवल शारीरिक समस्याएं पैदा करता है, बल्कि यह लड़कियों के शिक्षा, आत्मसम्मान और समाज में भागीदारी को भी प्रभावित करता है। इससे उनके मौलिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और सामाजिक व आर्थिक असमानता को बढ़ावा मिलता है।

शना आलम ने छात्राओं को मासिक धर्म के समय खान-पान, मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक संतुलन पर भी ध्यान देने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि “मासिक धर्म को लेकर खुलकर बात करना जरूरी है ताकि लड़कियाँ सवाल पूछ सकें और सही जानकारी प्राप्त कर सकें।” उन्होंने स्वच्छता बनाए रखने के लिए साबुन से हाथ धोने, कपड़े सुखाने के लिए धूप का प्रयोग करने, और सैनिटरी उत्पादों के सुरक्षित निस्तारण की जानकारी भी दी।

कार्यक्रम के अंत में छात्राओं ने भी अपने अनुभव साझा किए और कई सवाल पूछे, जिनका शिक्षिका ने सहज और वैज्ञानिक ढंग से उत्तर दिया। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे जागरूकता कार्यक्रम नियमित रूप से होने चाहिए जिससे किशोरियों में आत्मविश्वास और जागरूकता दोनों बढ़े।

इस अवसर पर शिक्षकों, छात्राओं और अभिभावकों की उपस्थिति रही और सभी ने शना आलम के प्रयासों की सराहना की। इस कार्यक्रम ने बालिकाओं को मासिक धर्म के बारे में न सिर्फ सही जानकारी दी बल्कि समाज में व्याप्त गलत धारणाओं को तोड़ने की दिशा में एक सकारात्मक कदम भी सिद्ध हुआ।

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