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राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर सुमित्रा महिला महाविद्यालय में कला प्रदर्शनी, प्रतिभागियों को किया गया सम्मानित

डुमरांंव। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर सोमवार को सुमित्रा महिला महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की छात्राओं द्वारा हाथ से बनी कला वस्तुओं की भव्य प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी में छात्राओं ने अपनी सृजनात्मकता और हुनर का परिचय देते हुए विभिन्न प्रकार की उपयोगी और सजावटी वस्तुएं प्रदर्शित कीं।

कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रीय सेवा योजना की अध्यक्ष डॉ. शोभा सिंह की अध्यक्षता में हुआ। आयोजन का संचालन भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संजय कुमार सिंह ने किया। निर्णायक मंडल में डॉ. सुनील कुमार सिंह, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. किरण सिंह, डॉ. अमृता सिंह, प्रो. शैलेंद्र कुमार, डॉ. मणिकांत और डॉ. बृज बिहारी सिंह शामिल थे, जिन्होंने प्रदर्शनी में प्रदर्शित वस्तुओं का बारीकी से निरीक्षण कर विजेताओं का चयन किया।

प्रतियोगिता में प्रथम स्थान नूरी और तमन्ना बानो ने संयुक्त रूप से प्राप्त किया। द्वितीय स्थान खुशबू कुमारी के नाम रहा, जबकि तृतीय स्थान पर प्रीति कुमारी, ज्योति, प्रियांशी, खुशी और सविता रहीं। चतुर्थ स्थान बेबी कुमारी और सुप्रिया कुमारी ने संयुक्त रूप से हासिल किया, वहीं पंचम स्थान खुशी कुमारी के हिस्से में आया। सभी विजेताओं को मोमेंटो, मेडल और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।

पुरस्कार वितरण के दौरान प्राचार्या ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि हाथ से बनी वस्तुएं न केवल कला और संस्कृति की पहचान हैं, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम हैं। उन्होंने कहा कि आज के युवा अपने हुनर के दम पर रोजगार के नए अवसर पैदा कर सकते हैं।

कार्यक्रम अधिकारी प्रो. शंभू नाथ शिवेंद्र ने कहा कि छात्राएं विभिन्न प्रकार के मॉडल और उपयोगी वस्तुएं बनाकर अपनी एक अलग पहचान स्थापित कर रही हैं, जो देश के विकास में योगदान देगी। डॉ. संजय कुमार सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना की छात्राएं “कबाड़ से जुगाड़” की कला में दक्ष हैं, बस जरूरत है कि उन्हें सही दिशा और अवसर प्रदान किए जाएं।

इस अवसर पर डॉ. मंगलम पांडे, नंदनी कुमारी, नेहा कुमारी, कुसुम कुमारी, अमित कुमार चौधरी, सुमित कुमार और खुशी कुमारी सहित कई शिक्षक-शिक्षिकाएं एवं छात्राएं मौजूद रहीं। कार्यक्रम के सफल आयोजन में सभी की सक्रिय भूमिका रही और यह आयोजन छात्राओं के आत्मविश्वास व रचनात्मकता को बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हुआ।

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