डुमरांव. नंदन गांव में चल रहें श्री लक्ष्मीनारायण सह हनुमत प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ के तीसरे दिन जलाधिवास और वेदी पूजन, अरणी मंथन हुआ. वहीं यज्ञ में राम जन्म प्रसंग पर बोलते हुए पूज्य विवेक भूषण जी महाराज ने कहां कि रावण के अत्याचार से धरती कांप रही थी, एक निकृष्ट समाज का उदय हो रहा था. बाढ़े खल बहु चोर जुआरा, जे लंपट पर धन पर दारा. रावण के राज्य में चोर, जुआरी, दूसरे की स्त्री के अपहरण कर्ता बढ़ने लगे, योग, जप, तप, पूजा बंद हो गए.
रावण एक निकृष्ट समाज का उदय करता है. जिससे सज्जनों को दुख होता है. रावण का मतलब ही होता है जो पूरे जगत को रुला दे, वही रावण है. वह आसुरी वृत्ति वाला है. असुर यानि, आसुस प्राणसु भोगेसु, रमणन्ते इती असुराः. जो अपने सुख के लिए दूसरे को दुख दे वही असुर है. परमात्मा राम का जन्म असत्य पर सत्य का विजय के लिए होता है. अज्ञान पर ज्ञान का उदय के लिए होता है. मानव मात्र ही नहीं सभी जीव के कल्याण के लिए होता है. सज्जनों को सुख देने के लिए होता है.
राम का अर्थ होता है रा यानी राष्ट्र, म यानि मंगल करने वाला ही राम है. जिसमें योगी लोग रमण करते हैं, वह राम है. विप्र, गो, सुर और संतों की रक्षा के लिए राम का अवतार होता है. जो चार रूप में प्रकट होते हैं. राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न यह जगत के चार व्यवस्था है. राम सुख रूप आनंद रूप है. मगर आनंद हो और पेट में अन्न ना हो, तो आनंद खत्म हो जाता है. तो भरत भरण पोषण करने वाले हैं. भरण पोषण भी हो और शत्रु का भय बना रहें तो भी परेशानी होती है. तो शत्रु का नाश करने वाले शत्रुघ्न है. और जगत के आधार रूप लक्ष्मण है.
ये आनंद, पोषण, शत्रु नाश और आधार ये चार जगत की व्यवस्था ही राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न है, जो सृष्टि का संचालन करते हैं. तीसरे दिन जलाधिवास एवं वेदी पूजन अरणी मंथन से अग्नि प्रज्जवलित किया गया. अहले सुबह से यज्ञ मंडप परिक्रमा को लेकर श्रद्धालूओं की भीड़ देखने को मिल रहीं. शाम में प्रवचन के लिए श्रद्धालूओं का जमवाड़ा हो रहा है. यज्ञ के सफल संचालन को लेकर यज्ञ समिति व ग्रामीण की भूमिका सराहनीय है.