
रक्षाबंधन पूर्व छात्राओं ने स्काउट प्रशिक्षक को बांधी राखी
सीतामढ़ी। प्रखंड रून्नीसैदपुर के राजकीय मध्य विद्यालय गंगवारा में चल रहा पांच दिवसीय स्काउट गाइड प्रशिक्षण शनिवार को सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। समापन के अवसर पर छात्राओं ने एक विशेष भावनात्मक पहल करते हुए प्रशिक्षण दे रहे स्काउट गाइड प्रशिक्षक पवन कुमार को राखी बांधकर रक्षाबंधन पर्व की पूर्व संध्या को यादगार बना दिया।
यह दृश्य केवल एक त्योहार का प्रतीक नहीं था, बल्कि गुरु और शिष्य के पवित्र रिश्ते को भी दर्शा रहा था, जिसमें सुरक्षा, विश्वास और स्नेह की भावना प्रकट हुई। छात्राओं की इस पहल ने समापन समारोह को और भी गरिमामयी और भावनात्मक बना दिया।
स्काउट गाइड प्रशिक्षण से छात्राएं हुईं आत्मनिर्भर
पांच दिनों तक चले इस प्रशिक्षण सत्र के दौरान छात्राओं को अनुशासन, आत्मरक्षा, प्राथमिक चिकित्सा, टीम भावना, सामाजिक सेवा जैसे विभिन्न विषयों की जानकारी दी गई। प्रशिक्षक पवन कुमार ने छात्राओं को व्यवहारिक तौर पर इन बातों को सीखने का अवसर दिया, जिससे उनमें आत्मविश्वास की भावना विकसित हुई।
प्रशिक्षण के अंतिम दिन जब छात्राओं ने उन्हें राखी बांधी, तो माहौल भावुक हो उठा। यह पल सिर्फ एक परंपरा का निर्वाह नहीं, बल्कि उस सम्मान और अपनत्व का प्रतीक था, जो छात्राओं ने अपने प्रशिक्षक के प्रति अनुभव किया।
शिक्षकों ने दी सराहना
इस अवसर पर विद्यालय की प्रधानाध्यापिका रेणु कुमारी और शिक्षिका अंजू कुमारी भी उपस्थित रहीं। उन्होंने छात्राओं के इस सुंदर आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि “रक्षाबंधन केवल भाई-बहन का पर्व नहीं, बल्कि यह हर उस रिश्ते का प्रतीक है जिसमें सुरक्षा और सम्मान हो। छात्राओं द्वारा पवन कुमार को राखी बांधना यह दर्शाता है कि वे अपने शिक्षकों और मार्गदर्शकों को परिवार जैसा मानती हैं।”
शिक्षिका अंजू कुमारी ने कहा कि “आज की छात्राएं केवल शिक्षित ही नहीं, बल्कि संस्कारित भी हैं। स्काउट गाइड प्रशिक्षण उन्हें न केवल बाहरी परिस्थितियों से निपटने का हौसला देता है, बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों को भी मजबूत करता है।”
कार्यक्रम ने छोड़ी गहरी छाप
समापन समारोह में प्रशिक्षण से जुड़ी कई झलकियां साझा की गईं। छात्राओं ने अपने अनुभवों को व्यक्त करते हुए बताया कि उन्होंने आत्मरक्षा, समूह में काम करने की क्षमता और आपदा प्रबंधन जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी हासिल की।
राखी के इस अनूठे आयोजन ने न केवल पर्व की गरिमा को बढ़ाया, बल्कि शिक्षा के साथ संस्कार और संस्कृति के समावेश को भी उजागर किया। इस अवसर ने यह सिद्ध कर दिया कि विद्यालय केवल पढ़ाई का केंद्र नहीं, बल्कि व्यक्तित्व निर्माण और मानवीय मूल्यों के पोषण का भी सशक्त माध्यम है।