मोबाइल फोन के दुष्प्रभावों पर बच्चों को किया जागरूक जीएमएस कच्ची खेरा, तलवाड़ा की शिक्षिका सुषमा कुमारी ने दी उपयोगी जानकारी

रियासी (जम्मू-कश्मीर)। सरकारी मिडिल स्कूल कच्ची खेरा, तलवाड़ा में एक विशेष जागरूकता सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यालय की शिक्षिका सुषमा कुमारी ने बच्चों को मोबाइल फोन के उपयोग से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने सरल भाषा में बच्चों को यह समझाया कि मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग न केवल उनकी पढ़ाई में बाधा डालता है, बल्कि उनके स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर डालता है।
मोबाइल की लत बच्चों के लिए बन रही खतरा
शिक्षिका सुषमा कुमारी ने कहा कि वर्तमान समय में छोटे-छोटे बच्चे भी मोबाइल फोन के अत्यधिक प्रयोग की आदत में पड़ते जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह आदत बच्चों की मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार की सेहत को नुकसान पहुंचा रही है। उन्होंने बच्चों को यह समझाया कि मोबाइल पर अधिक समय बिताने से आंखों की रोशनी कमजोर हो सकती है, नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है और दिमागी विकास पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।
शारीरिक गतिविधियों से दूर हो रहे बच्चे
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि मोबाइल फोन के कारण बच्चे खेलकूद और अन्य शारीरिक गतिविधियों से दूर होते जा रहे हैं, जिससे मोटापा, पीठ दर्द और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। सुषमा कुमारी ने बच्चों को मोबाइल से दूरी बनाकर अधिक समय किताबों, खेलकूद और रचनात्मक गतिविधियों में बिताने के लिए प्रेरित किया।
ऑनलाइन कंटेंट से भी जुड़ी है कई समस्याएं
इस सत्र में यह भी बताया गया कि मोबाइल पर उपलब्ध ऑनलाइन कंटेंट कई बार बच्चों की सोच पर गलत प्रभाव डाल सकता है। कई बार बिना निगरानी के उपयोग करने पर बच्चे ऐसे ऐप्स या वेबसाइट्स पर पहुँच जाते हैं, जो उनके लिए हानिकारक हो सकती हैं। उन्होंने बच्चों को यह भी समझाया कि किसी भी तकनीक का उपयोग सोच-समझकर और सीमित समय तक करना चाहिए।
बच्चों ने लिया संकल्प
कार्यक्रम के अंत में बच्चों ने यह संकल्प लिया कि वे मोबाइल फोन का उपयोग केवल आवश्यकता पड़ने पर ही करेंगे और अधिकतर समय पढ़ाई, खेलकूद और रचनात्मक गतिविधियों में बिताएंगे। इस पहल की सराहना शिक्षकों और अभिभावकों ने भी की।
मोबाइल फोन आधुनिक युग की एक अनिवार्य आवश्यकता बन चुका है, लेकिन उसका संतुलित उपयोग ही लाभकारी है। जीएमएस कच्ची खेरा की इस पहल ने यह संदेश स्पष्ट रूप से दिया कि बच्चों को बचपन में ही तकनीक के सही उपयोग की शिक्षा देना बेहद आवश्यक है। शिक्षिका सुषमा कुमारी द्वारा दिया गया यह सत्र बच्चों के लिए प्रेरणादायक रहा और उनके भविष्य को सुरक्षित दिशा में ले जाने की एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ।