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मैं महाराज हूँ मैं महाराजनीति करूँगा : स्वामी रामभद्राचार्य

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बक्सर : श्री राम कर्मभूमि न्यास के तत्वावधान व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के संयोजन में तथा पूज्य जीयर स्वामी जी के सानिध्य एवं पदम विभूषण जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी के संरक्षण में आयोजित सनातन संस्कृति समागम में आज श्रीराम कथा के सप्तम दिवस स्वामी रामभद्राचार्य के मुखारविंद से भक्तों ने श्रीराम के बक्सर आगमन की कथा सुनी। इस पावन आयोजन श्रीराम के ननिहाल छत्तीसगढ़ के शबरी धाम शिवरीनारायण से श्री नवीन पटेल और सतीश चंद्र झा जी ने कलश में जल और प्रसाद लेकर आये। स्वामी श्रीरामभद्राचार्य जी और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे जी ने कलश को शिरोधार्य कर पूजन किया।

कथा के पूर्व स्वामी जी ने बड़ी घोषणा करते हुए और सभी भक्तजनों को संकल्प दिलाते हुए कहा कि हमने गंगा तट पर एक करोड़ वृक्ष लगाने का संकल्प लिया है जिसका कल शुभारम्भ होगा। स्वामी जी ने कहा कि हमें किसी कार्य में आनंद नही आता हमे केवल प्रभु राम नाम का जप करने में आनंद आता है। संसार के अन्य कार्यों से दूर हम राम नाम में मस्त रहते हैं। “मस्त रहें मस्ती में, आग लगे बस्ती में”। कुछ दिनों से कुछ लोग बोल रहें हैं कि संतों को राजनीति नही करनी चाहिए। मैं उन सभी को चुनौती देता हूँ और बोलता हूँ की संतो की राजनीति अवश्य करनी चाहिए।

कृत युग में हिरणायक्ष की बर्बरता दूर करने नारद जी ने राजनीति की, त्रेता में रावण को धूल चटाने वशिष्ठ,विश्वामित्र और सप्तऋषियों ने राजनीति की, द्वापर में कंस का विध्वंश करने नारद मुनि ने राजनीति की, बिहार की इसी भूमि पटना में चाणक्य ने राजनीति की, तुलसीदास, शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, निम्बकचार्य, रामानंदाचार्य, वलभचार्य चैतन्य महाप्रभु सभी ने राजनीति की। राजनीति से हिन्दू धर्म को बचाया जा सका। चन्द्रशेखर आजाद, मंगल पांडेय, रानी लक्ष्मीबाई सभी संत थे। राष्ट्रपिता गांधी के नाम के आगे महात्मा लिखा जाता है, आप सभी जानते हैं की महात्मा किन्हें कहा जाता है। महात्मा संतो को कहा जाता है।
इसलिए जगद्गुरु के व्यक्तव्य पर टिप्पणी करने से पहले विचार करना चाहिए।

मैं महाराज हूँ मैं महाराजनीति करूँगा। जो अपने राष्ट्र के काम न आ सके उसका जीना व्यर्थ है। संत का व्यक्तित्व है जब देश में शांति हो तो हाथ में माला लेनी चाहिए और जब देश में क्रांति हो तो माला नीचे रख हाथ में भाला ले लेना चाहिए। राजनीति पत्नी है धर्म पति है। धर्म के बिना राजनीति विधवा हो जाएगी और राजनीति के बिना धर्म विधुर हो जाएगा। भारतीय सैनिक कभी पीछे नही मुड़ता श्रीराम जब विश्वामित्र के साथ जा रहे थे तो उन्होंने ने माता कौशल्या को प्रणाम किया तब माता कौशल्या ने उन्हें कहा की अब पीछे मत मुड़ना। कौशल्या ने उन्हें स्मरण कराया की तुम रघुकुल के बालक हो रघुवंश के तीन सिद्धांत है- पर नारी को न देखना, युद्ध में पीठ न दिखाना और याचक को निराश न करना।

जब महर्षि विश्वामित्र के साथ राम-लक्ष्मण सिद्धाश्रम की ओर पहुंचे तो विशाल राक्षसी तड़का दिखी। विश्वामित्र ने भगवान राम को उनका वध करने को कहा तब भगवान राम ने कहा की यह स्त्री है और रघुवंशी स्त्री पर बाण नही चला सकते। विश्वामित्र महामुनि कहते हैं की आतंकवाद की कोई जाति नही होती मेरे आदेश से इसका वध करो और इस सिद्धाश्रम में यज्ञ की रक्षा करो। श्रीराम महामुनि की आज्ञा का पालन कर तड़का का वध करते हैं। मैं बक्सरवासियों से कहता हूँ कि यज्ञ करो बक्सरवासियों और आने वाले 2025 में 14 जनवरी तक श्रीराम की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाओ।

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