सारण की शिक्षिका नीलम कुमारी की “मिल्की का घर” बनी बिहार के बाल साहित्य की नई पहचान

पटना। बिहार की बाल साहित्यिक दुनिया में एक नया अध्याय जुड़ गया है। जुलाई-अगस्त 2022 में बिहार शिक्षा परियोजना परिषद एवं इंडिया पार्टनरशिप फॉर अर्ली लर्निंग द्वारा आयोजित बाल साहित्य लेखन कार्यशाला में भाग लेने वाली लेखिका सुश्री नीलम कुमारी, शिक्षिका मध्य विद्यालय छपिया, बनियापुर सारण की रचना “मिल्की का घर” का चयन प्रकाशन हेतु किया गया है। यह उपलब्धि केवल लेखिका की रचनात्मकता का परिचायक नहीं है, बल्कि बिहार के बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण साहित्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
“मिल्की का घर” एक सचित्र बाल पुस्तक है, जो न केवल बच्चों की कल्पनाओं को उड़ान देती है, बल्कि उन्हें सांस्कृतिक जड़ों से भी जोड़ती है। यह पुस्तक, बच्चों के सीखने के सफर को आनंददायक और अर्थपूर्ण बनाने में सहायक सिद्ध होगी। करुणोदय फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक की दो प्रतियाँ लेखिका को सम्मानपूर्वक भेंट की गई हैं।
करुणोदय फाउंडेशन बीते पाँच वर्षों से बिहार के सरकारी विद्यालयों तथा माली अफ्रीका के स्कूलों में बाल पुस्तकालय के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए कार्यरत है। इस प्रयास का उद्देश्य बच्चों को पाठ्यपुस्तकों के परे जाकर पढ़ने की आदत डालना और उनकी सोचने-समझने की क्षमताओं को विकसित करना है। बाल साहित्य के निर्माण और प्रसार के इस संकल्प में नीलम कुमारी जैसे लेखकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस रचना के माध्यम से यह सिद्ध होता है कि यदि लेखकों को सही मंच मिले, तो वे बच्चों के लिए अद्भुत रचनाएं प्रस्तुत कर सकते हैं। “मिल्की का घर” जैसी पुस्तकों का प्रकाशन इस दिशा में एक प्रेरणास्पद पहल है, जो अन्य लेखकों को भी प्रोत्साहित करेगा।
कार्यशाला की स्मृति को संजोते हुए करुणोदय फाउंडेशन एवं बिहार शिक्षा परियोजना परिषद लेखकों को उचित पहचान दिलाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। भविष्य में भी लेखिका नीलम कुमारी से इसी तरह के और साहित्यिक योगदान की अपेक्षा की जा रही है।
उनकी यह रचना न केवल बाल साहित्य को समृद्ध करती है, बल्कि शिक्षा जगत में उनकी प्रतिबद्धता और रचनात्मक ऊर्जा का भी परिचय देती है। करुणोदय फाउंडेशन और राज्य के बच्चों की ओर से उन्हें ढेरों शुभकामनाएं।