महादेव की अनुमति से स्थापित हुआ जंगली नाथ शिव मंदिर में शिवलिंग, सिद्धपीठ है जंगली शिव मंदिर, जमीन के नीचे मिला था यह शिवलिंग
डुमरांव. जंगल बाजार के अंतिम दक्षिणी छोर स्थापित जंगली नाथ शिव मंदिर सैकड़ों वर्ष प्राचीन मंदिरों में एक है. इस मंदिर को सिद्धपीठ का दर्जा प्राप्त है. सावन के महिने में हर दिन शिवभक्त इस मंदिर में पहुंच भगवान शिव को जलाभिषेक करते है.
मंदिर में पूजा-अर्चना करने वालों भक्तों में महिलाओं की संख्या पुरूषों से अधिक रहती है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि सावन माह के प्रत्येक सोमवार को मंदिर परिसर आकर्षण ढ़ग से सजाया जाता है. इस दिन भक्तों की तादाद हजारों में पहुंच जाती है. भक्तों की किसी तरह की परेशानी न हो इसकी व्यवस्था समिति के सदस्य करते है.
भोले नाथ की अनुमति पर स्थापित हुआ मंदिर
किदंवती की मानें तो शिव के अनुमति से बना जंगली शिव मंदिर. किदंवती की मानें तो दानी बाबा घनघोर जंगल में अवस्थित अपने आश्रम मे रहते थे. उनके सपने में यहां पर जमीन के नीचे शिवलिंग मौजूद है. बाबा ने उसको तत्काल खुदवाया. तो शिवलिंग पाया. झोपडीनुमा मंदिर बनाकर उनको स्थापित किया. मंदिर की चर्चा धीरे-धीरे फैल गई. तो श्रद्धालुओं ने मंदिर को जीर्णोद्धार करने को आगे आने लगे.
निर्माण शुरू हुआ तो आधे-अधूरे निर्माण के बाद अक्सर कोई न कोई मजदूर-मिस्त्री गिरकर जख्मी हो जाते थे. एक दिन दानी बाबा के सपने में शिवजी ने कहां कि मेरे अनुमति के बिना मंदिर व शिवलिंग की स्थापना कैसे हो रहीं. तब जाकर बाबा ने अनुमति ली. उसके बाद निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ.
प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है मंदिर परिसर
जंगली नाथ शिव मंदिर परिसर प्राकृतिक घटा व सौंदर्य से भरा पड़ा है. मंदिर की कलाकृति भक्तों को आकर्षित करती है. भक्तों की सहयोग से यह मंदिर भव्य रूप ले लिया है. मंदिर में राज्यसभा सांसद सह जदयू प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने अपनी निधि से परिसर में विवाह-मंडप सभागार के अलावे पोखरे का सौंदर्यीकरण कराया है. इस सुविधा से मंदिर में शादी-विवाह के भी कार्य भी संपन्न होता है.