छपराबिहार

भिखारी ठाकुर की 54वीं पुण्यतिथि पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित, हैप्पी श्रीवास्तव की प्रस्तुति ने श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध

छपरा। लोक कलाकारों के जनक और भोजपुरी रंगमंच के शिखर पुरुष भिखारी ठाकुर की 54 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर छपरा के भिखारी ठाकुर प्रेक्षागृह में एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। यह आयोजन सारण जिला नाई संघ एवं भिखारी ठाकुर लोक साहित्य एवं सांस्कृतिक महोत्सव समिति के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और भिखारी ठाकुर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। इस अवसर पर जिले भर से आए लेखक, कवि, साहित्यकार, नाटककार, समाजसेवी और लोक कलाकारों ने भिखारी ठाकुर के जीवन, कृतित्व और समाज सुधार में उनके योगदान को याद किया। वक्ताओं ने कहा कि भिखारी ठाकुर न केवल एक नाटककार थे, बल्कि उन्होंने समाज के पिछड़े तबकों की पीड़ा को मंच के माध्यम से मुखर किया और सामाजिक चेतना की मशाल जलायी।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण बीबी राम प्लस टू उच्च विद्यालय नगरा की संगीत शिक्षिका सह प्ले बैक सिंगर हैप्पी श्रीवास्तव व लोक गायक रामेश्वर गोप के साथ संगीतमय प्रस्तुति रही। उन्होंने भिखारी ठाकुर द्वारा रचित पारंपरिक गीतों को अपनी मधुर आवाज में प्रस्तुत कर कार्यक्रम को जीवंत कर दिया। उनकी प्रस्तुति ने उपस्थित श्रोताओं को भावविभोर कर दिया और सभागार देर तक तालियों से गूंजता रहा।

हैप्पी श्रीवास्तव ने “बिदेसिया”, “गबर घिचोर” और “ननद भौजाई” जैसे लोकनाट्य अंशों के माध्यम से लोक संस्कृति की समृद्ध परंपरा को सजीव कर दिया। उनकी गायकी ने पुराने दिनों की याद ताजा कर दी और युवाओं को भी लोक साहित्य के महत्व से परिचित कराया।

इस अवसर पर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित भी किया गया। सम्मान समारोह में अतिथियों ने कहा कि भिखारी ठाकुर की विरासत को सहेजने और आगे बढ़ाने की दिशा में यह कार्यक्रम मील का पत्थर साबित होगा।

कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन आयोजक मंडल की ओर से किया गया। कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों, शिक्षकों, छात्र-छात्राओं एवं बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने भाग लिया और भिखारी ठाकुर की स्मृति को नमन किया।

यह आयोजन न केवल श्रद्धांजलि का अवसर था, बल्कि यह भिखारी ठाकुर के विचारों को आगे बढ़ाने और नई पीढ़ी को लोक संस्कृति से जोड़ने का प्रयास भी था।

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